Thursday, July 27, 2017

NAAC ने शैक्षणिक संस्थानों की एक्रीडेशन के नियम बदले, अब नए आइडिया और शोध पर होगा जोर

नैक (NAAC) यानी राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यापन परिषद ने उच्चतर शिक्षा से संबंधित संस्थानों के एक्रीडेशन का तरीका बदल दिया है। जिन बिन्दुओं पर पहले संस्थानों का को रैंकिंग दी जाती थी, उनमें बदलाव
किए गए हैं। एक्रीडेशन की प्रक्रिया और ज्यादा सख्त हो गई है, जो संस्थान पहले से तैयारी कर रहे थे, अब उनकी एक्रीडेशन 2 वर्ष तक लेट हो सकती है। उन्होंने पुराने नियमों के अनुसार तैयारी की थी और अब नए नियमों के अनुसार तैयारी करने में एक साल निकल जाएगा। इसके बाद वो आवेदन करेंगे और फिर प्रक्रिया में समय निकल जाएगा। नैक के नए बदलावों में ध्यान रखा गया है कि इसकी प्रक्रिया में पारदर्शिता सके। नैक के निदेशक डीपी सिंह ने नए मैनुअल जारी करने के साथ कहा कि इन्हें ज्यादा गुणात्मक और सरल बनाने पर ध्यान दिया गया है। 
मई से जून नंबवर से दिसंबर तक कर सकेंगे आवेदन: अबसाल में आवेदन के लिए दो बार समय दिया जाएगा। आवेदन हर वर्ष 1 मई से 3 जून के मध्य में या फिर 1 नवंबर से 31 दिसंबर तक केवल दो बार दायर किया जा सकता है। यह पहले पुरे साल की एक ही प्रक्रिया होती थी। आवेदन के बाद एक्रीडेशन की प्रक्रिया में कितना समय लगेगा, इसके लिए समय बाउंड प्रक्रिया शुरू की है। इससे पहले समय तय नहीं था। 
संस्थान बच्चों के विस्तार के लिए क्या नए आइडिया के तहत काम हो रहा है। संस्थान के पास किस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर है। पाठ्यक्रम संबंधी विषय पर संस्थाओं की जांच हुआ करेगी, जिनमें देखा जाएगा कि संस्थानों के अंदर जो पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है कि वो बच्चों के लिए कितना फायदेमंद है। संस्थान के अंदर पढाई का क्या तरीका है और उसमें किस तरह की गहराई है। शिक्षा के दौरान और उसके बाद संस्थान उनका किस तरह सहयोग कर रहा है। वहीं पुराने छात्र संस्थान के विकास के लिए क्या भूमिका निभा रहे हैं। संस्था किन मूल्यों को लेकर काम कर रहा है और किस तरह की उपयोगी योजनाएं लाई जा रही है। संस्थान की प्रबंधन समिति किस तरह काम करती है और उसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों की इसमें क्या भूमिका है। 
एसएसआर मूल्यांकन को किया काफी सरल: अबतक की प्रक्रिया में संस्थान जो मैनुअल फार्म भरकर भेजते थे वो काफी कठिन था और इसके बावजूद उसे महत्व नहीं दिया जाता था, लेकिन नई प्रक्रिया में एसएसआर मूल्यांकन को काफी सरल किया है और अब इसके आधार पर 70 प्रतिशत अंक तय होंगे। पियर टीम जो निरीक्षण करेगी, उसकी रिपोर्ट को अब केवल 30 प्रतिशत महत्व दिया जाएगा। 
टीमके सदस्य रखे जाएंगे गोपनीय: अबतक की प्रक्रिया में जो टीम निरीक्षण करने आती थी उनके नाम पहले से तय हो जाते थे और निरीक्षण की अवधि में उसी संस्थान के खर्च पर रहते थे, लेकिन अब टीम के सदस्यों के नाम गोपनीय रखे जाएंग और टीम के ठहरने के प्रबंध से लेकर खाने पीने की व्यवस्था की जिम्मेदारी थर्ड पार्टी को दी जाएगी। नैक यूनिवर्सिटी और कॉलेज आदि से फीस वसूलेगा, लेकिन कितनी यह अभी तय नहीं किया है।
सूक्ष्म हुई जांच से संस्थानों को कठिनाई: नैक की टीमों में सदस्य रह चुकी और शिक्षाविद डॉ. शशि राय का कहना है कि शिक्षण संस्थानों को ग्रेड देने के लिए जो बदलाव किए हैं, इससे जांच ज्यादा सूक्ष्म हो गई है। शिक्षा के विकास को देखते हुए यह एक अच्छा निर्णय है। इसे पहले से और ज्यादा गुणात्मक और संख्यात्मक बन गया है। लेकिन इससे संस्थाओं के सामने कठिनाई गई है। पहले ही संस्थान नैक से बचते रहते थे अब तो ज्यादा कठिन हो गया है। इसलिए संस्थाओं को एक्रीडेशन के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, जो संस्थान नहीं कर पाते। संस्थानों को डर रहता है कि उन्हें कहीं खराब ग्रेड मिल जाए। इसलिए संस्थान आवेदन नहीं करते हैं। 
मानको पर खरे नहीं उतरते हरियाणा के संस्थान: नैक के मानकों पर हरियाणा के शिक्षण संस्थान खरे ही नहीं उतरते हैं, इसलिए यहां के संस्थान एक्रीडेशन से घबराते हैं और आवेदन नहीं करते। यही कारण है कि प्रदेश की 29 यूनिवर्सिटी में से 21 और 400 कॉलेज में 250 ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यापन परिषद (नैक) की ग्रेडिंग नहीं करवाई है। जिन 150 कॉलेज ने ग्रेडिंग करवाई है, उनमें भी पहले स्तर पर ग्रेडिंग हुई है। अब नियमों में बदलाव हो गया है तो जो आवेदन की तैयारी कर रहे थे उन्हें दोबारा से तैयारी करनी पड़ेगी। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.