एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
दिमाग संकेत दे रहा था फिर भी मैं पिछले तीन दिन से डॉक्टर मित्र के पास जाना टाल रहा था। पीठ में भयंकर दर्द था। लेकिन बुधवार को जब मैं उनके पास पहुंचा तो उन्होंने मुझे फटकारा और तुरंत मुझे ऑपरेशन थियेटर में ले गए और ऑपरेशन कर दिया। मेरा चलना-फिरना पूरी तरह रोक दिया गया और बुधवार को पूरे दिन मैं पीठ के बल लेट नहीं सका। इससे मेरी पढ़ने की आदत में बाधा आई। कल्पना कीजिए मेरे जैसा व्यक्ति जो हमेशा लिखना-पढ़ना, बातें-बहस करना पसंद करता है या फिर कहीं यात्रा पर होता है, उसे दवाइयों से घिर कर बिस्तर पर लेटे रहना पड़े और करने के लिए कोई काम हो। मैं सोच रहा था कि गुरुवार को मैं अपना कॉलम लिख पाऊंगा या नहीं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उसी समय मेरे कानों में दो डॉक्टरों की दिलचस्प बातचीत पड़ी। दोनों दो सप्ताह पहले पुणे के कोलंबिया एशिया अस्पताल में एक जीवन बचाने वाले उपचार में शामिल रहे थे। उनका मरीज फटे हुए पेट के साथ पहुंचा था और खाना पेट से बाहर छलक रहा था। तुरंत मरीज की गेस्ट्रेक्टॉमी की गई। चार घंटे चली इस प्रक्रिया में उसके पेट का निचला हिस्सा सर्जरी से निकाल दिया गया।
उनका युवा मरीज कुछ दोस्तों के साथ ड्रिंक के लिए स्थानीय पब में गया था। वहां उसने फ्यूमिंग कॉकटेल का ऑर्डर दिया था। इसमें फ्यूम अल्कोहल को ड्राय आइस या लिक्विड नाइट्रोजन मिलाकर तैयार किया जाता है। इससे बुलबुले वाला धुंएदार मिश्रण तैयार हो गया था। पब के धुंधले वातावरण में इसने आकर्षक रूप ले लिया था। पब में अलग-अलग रंगों की रोशनी घूमती रहती है, जिसमें धुआं भी रंगीन नजर आता है। आजकल पब में यह लोकप्रिय और नई चीज है। युवा इसे खूब पसंद कर रहे हैं। लेकिन वे यह नहीं जानते कि यह विवादास्पद ड्रिंक भी है। क्योंकि ड्राय आइस कार्बन डाइऑक्साइड से बनाई जाती है। लिक्विड नाइट्रोजन के मेल से इसका बॉइलिंग पॉइंट -196 डिग्री तक पहुंच जाता है और इसे पीना खतरनाक हो जाता है। अगर इस ड्रिंक को लिक्विड नाइट्रोजन के उड़ने और पूरी आइस के पिघलने से पहले पिया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है। मॉल्यूक्यूलर गेस्ट्रोनॉमी में इसे किसी चीज को तुरंत फ्रीज करने में इस्तेमाल किया जाता है और जब यह हवा के संपर्क में जाता है तो तुरंत उड़ जाता है।
इस मामले में रोगी ने उसे तुरंत गटक लिया था, इसलिए दिमाग को कुछ देर के कुछ अजीब लगा। फिर उसे पेट में तेज दर्द महसूस हुआ। पहले उसे लगा कि यह एसिडिटी के कारण है। फिर उसने बार टेंडर से एक और ड्रिंक बनाने काे कहा, ताकि इन लक्षणों को काबू किया जा सके। लेकिन दूसरे ड्रिंक ने समस्या कम करने की बजाय पेट में जलन और दर्द को और बढ़ा दिया। उसे लगा कि वह किसी मुसीबत में है, तो तुरंत अस्पताल की ओर भागा। तीन महीने पहले इसी तरह का एक मामला दिल्ली में भी सामने आया था। ईश्वर के बनाए इस शरीर में हर अंग का अपना काम है, लेकिन फिर भी इनमें से हरेक स्वतंत्र रूप से काम करता है। अंग एक-दूसरे को संकेत देते हैं। यह बात मैंने अपनी बेटी से सीखी, जब वह छोटी थी। बचपन से ही वह भोजन को खाने से पहले सूंघती थीे और मेरी पत्नी उसे डॉग्स की तरह व्यवहार करने के लिए डांटती थी। लेकिन उसका हमेशा यह तर्क होता था कि नाक का एक काम श्वास लेने के अलावा जुबान की मदद करना भी है। यह तर्क मुझे पसंद था। दिमाग कई बार कहता है कि जाे चीज आंखों से देखने में अच्छी लगे, जरूरी नहीं है कि वह पेट के लिए भी अच्छी हो, लेकिन हम इस चेतावनी काे नजरअंदाज कर जाते हैं। इसका नतीजा है ऊपर बताई गई दोनों घटनाएं।
फंडा यह है कि शरीर के हर अंग का अपना काम है, लेकिन मिलकर यह किसी सेना से कम नहीं होते। उनका सम्मान कीजिए।
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साभार: भास्कर समाचार
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