Wednesday, July 19, 2017

सिर्फ टेक्निकल और जरूरी विभागों में ही बढ़ेगी रिटायरमेंट आयु; विपक्ष ने बताया 'पिक एंड चूज़' की नीति

हरियाणा में रिटायरमेंट एज बढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे सरकारी कर्मचारियों को झटका लग सकता है। राज्य सरकार सभी विभागों के बजाय केवल उन्हीं विभागों में रिटायरमेंट एज बढ़ाने पर विचार कर रही है, जिनमें
स्टाफ की बहुत कमी है और तुरंत कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा इंजीनियरिंग से जुड़े महकमों को प्राथमिकता दी जा सकती है। इसके लिए वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु की अध्यक्षता में बनी कैबिनेट सब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट लगभग तैयार कर ली है। यह रिपोर्ट जल्दी ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी जाएगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मीटिंग के बाद वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि सब कमेटी का मानना है कि सभी विभागों में रिटायरमेंट की उम्र 58 से 60 करना आवश्यक नहीं है। मीटिंग में विभागाध्यक्षों के कार्यकाल की भी सीमा तय करने पर चर्चा हुई। लेकिन, ऐसे विभाग जहां पर रिटायरमेंट के कारण कामकाज प्रभावित हो सकता है। वहां प्रमोशन से तुरंत कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं हो तो विभागों से डाटा जुटाकर कैबिनेट मीटिंग में प्रस्तुत किया जाए। पिछली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सभी सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 58 से 60 साल करने का फैसला किया था। लेकिन, बाद में सत्तारूढ़ भाजपा ने फैसले को पलट दिया था। तमाम कर्मचारी संगठनों के बढ़ते दबाव के बाद सरकार ने रिटायरमेंट एज फिर 58 से 60 साल करने के फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था। वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी में उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री कृष्ण बेदी भी थे। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री, अनिल विज ने कमेटी की एक भी मीटिंग अटेंड नहीं की।  
इधर, इस बारे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि उनकी सरकार ने सामान्य रूप से सभी कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 58 से बढ़ाकर 60 साल करने का फैसला किया था। कुछ ही विभागों में रिटायरमेंट एज बढ़ाने काफैसला करके भाजपा सरकार पिक एंड चूज की पॉलिसी पर चल रही है। जबकि सामान्य रूप से सभी कर्मचारियों की रिटायरमेंट बढ़नी चाहिए। इतना ही नहीं, इस अवधि में अब तक जो कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, उनकी भरपाई की जानी चाहिए, क्योंकि उनके साथ तो यह धोखा ही हुआ है। 
कर्मचारी संगठनों के मुताबिक प्रदेश के सभी विभाग, बोर्ड, कॉरपोरेशन आदि में इस समय 3 लाख 38 हजार 921 कर्मचारी काम कर रहे हैं। जबकि प्रदेश की आबादी और वर्कलोड के हिसाब से 9 लाख कर्मचारी होने चाहिए। नवंबर, 2014 से अब तक करीब 20 हजार कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं। हालांकि सरकार ने हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन के माध्यम से कुछ विभागों में भर्तियां शुरू की हैं, लेकिन काफी भर्तियां कोर्ट प्रक्रिया में भी फंसी हुई हैं। पब्लिक डीलिंग से जुड़े महकमों में स्टाफ की कमी की वजह से कामकाज प्रभावित हो रहा है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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