Monday, July 3, 2017

गड़बड़झाला: पद केवल तीन, बढ़ा कर कर सकते हैं छह तक: हुड्डा सरकार ने बना डाले 'इक्कीस ACS'

सरकार में पद स्वीकृत कराए बिना एक चपरासी तक रखना मुश्किल हो जाता है, लेकिन हरियाणा में करीब 15 आईएएस बिना स्वीकृत पदों के ही एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के पद पर काम कर रहे हैं। इनके वेतन-भत्तों के रूप
में खर्च हुए 5.37 करोड़ रुपए को कैग अनियमित खर्च करार दे चुका है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले 5 साल में भी यह रेगुलर नहीं हुए हैं। लेकिन सरकार अन्य राज्यों का उदाहरण और परंपरा का नाम देकर अभी तक इन्हें वेतन-भत्ते और अन्य सुविधाएं दिए जा रही है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। करीब पौने तीन साल बीतने के बाद अब यह मामला भाजपा सरकार के ध्यान में आया है। विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी ने इन पदों को 3 महीने में रेगुलर करवाने का वक्त दिया है। इसके बाद इन अफसरों के वेतन और पेंशन से अनियमित खर्च की राशि वसूली जा सकती है। अगर यह वसूली हुई तो अनियमित खर्च की राशि इससे दोगुनी भी हो सकती है। 
दरअसल, हुआ यह कि हरियाणा में चीफ सेक्रेटरी का एक और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के 3 पद स्वीकृत हैं। लेकिन राज्य सरकार अपने स्तर पर चाहे तो केंद्र की पूर्व मंजूरी लिए बिना 3 पद और स्वीकृत कर सकती है। अगर इससे ज्यादा पद क्रिएट करने हों तो केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी की सलाह जरूरी है। चूंकि यह मामला बड़े आईएएस अफसरों के खुद के प्रमोशन से जुड़ा था, इसलिए पिछली सरकार में वर्ष 2005 से 2013 के बीच सारे नियम-कायदों को ताक में रखकर धड़ाधड़ एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के पद क्रिएट कर लिए। चूंकि चुनाव का वक्त था इसलिए पिछली कांग्रेस सरकार ने चहेते अफसरों को खुश करने की कोशिश में इस पर मुहर भी लगा गई। 

पिछले 5 साल से केंद्र के स्तर पर अटका है मसला: सूत्रों के मुताबिक यह मसला पिछले 5 साल से केंद्र सरकार के स्तर पर अटका है। दरअसल, वर्ष 2012 में ही यह मुद्दा सरकार के ध्यान में गया था। कैग ने 31 मार्च, 2013 तक बनाई अपनी ऑडिट रिपोर्ट में इसका पैरा भी बनाया था। तब विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी ने तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिए थे कि वह इन पदों को रेगुलराइज कराएं। इस पर राज्य सरकार की ओर से 17 सितंबर, 2013 को कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिखा गया। मंत्रालय ने इस पर राज्य सरकार से 11 सितंबर,2014 कुछ सूचनाएं मांगी। राज्य सरकार की ओर से 12 फरवरी, 2015 को जवाब भिजवाया गया। इसके बाद से यह मामला अभी तक केंद्र सरकार में ही पेंडिंग है। 
सूत्रों के मुताबिक आईएएस के पद राज्य की जनसंख्या, साइज ऑफ इकॉनॉमी, महकमे और उनकी एक्टिविटी के आधार पर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की सलाह से स्वीकृत किए जाते हैं। राज्य सरकार को कैडर पोस्ट से दोगुने पद स्वीकृत करने का अधिकार है। हरियाणा में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की 3 कैडर पोस्ट हैं। सरकार 3 पोस्ट और स्वीकृत कर सकती थी, लेकिन वर्तमान 21 एडिशनल चीफ सेक्रेटरी हैं। इस तरह 15 आईएएस बिना स्वीकृत पद के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी बने हुए हैं। अगर, प्रशासनिक शक्तियों की दृष्टि से देखें तो एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी के अधिकारों में कोई अंतर नहीं है। यानि ऐसा कोई काम नहीं है जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी रहते किया जा सकता हो, वह केवल एडिशनल चीफ सेक्रेटरी ही कर सकता हो। वेतन में भी मात्र 1000 रुपए का ही अंतर है। लेकिन ब्यूरोक्रेसी में दबदबा और टोर बनाए रखने की लालसा में अफसरों ने अपने लिए सारे नियम-कायदे तोड़ दिए। दरअसल, यह सस्या टाइम बाउंड प्रमोशन के तहत पूरे बैच को ही एक साथ पदोन्नत किए जाने की वजह से खड़ी हुई है। 
1987 बैच के आईएएस का प्रमोशन अटका: विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी ने अब भारत सरकार से एप्रुवल मिलने तक नए एडिशनल चीफ सेक्रेटरी बनाने पर रोक लगा दी है। इससे 1987 बैच के आईएएस अफसरों का प्रमोशन अटक गया है। इनमें केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय में जॉइंट सेक्रेटरी ज्योति अरोड़ा, नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड में जॉइंट सेक्रेटरी राजीव अरोड़ा, आईटी और सिविल एविएशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी देवेंद्र सिंह, मॉनीटरिंग एवं कोआर्डिनेशन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी टी.सी. गुप्ता, स्वास्थ्य विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अमित झा और फिशरीज डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एस. एन. राय हैं।
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साभार: भास्कर समाचार 
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