लंबे समय से दूसरे जिलों में तैनात शिक्षकों को जल्द ही गृह जिले में वापसी का मौका मिलेगा। शिक्षा विभाग अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी लाने की तैयारी में है। भाजपा सरकार में वर्ष 2015 के बाद ये दूसरा मौका होगा
जब दूसरे जिलों में तबादला चाहने वाले अध्यापकों को इच्छित जिले में जाने की मुराद पूरी होगी। पॉलिसी का मसौदा तैयार किया जा रहा है और सरकार की मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा पिछले साल शुरू की गई ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी का अभी उन अध्यापकों को लाभ नहीं मिल पा रहा जो दूसरे जिले में जाना चाहते है। इसके लिए अंतर जिला स्थानांतर पॉलिसी ही एकमात्र विकल्प है। गौरतलब है कि पिछली कांग्रेस सरकार वर्ष 2006 में अंतर जिला स्थानांतरण पॉलिसी लाई थी जिसके जरिये लंबे अरसे के बाद अध्यापक अपने जिलों में वापस लौट सके थे। उसके बाद मौजूदा भाजपा सरकार ने वर्ष 2015 में पॉलिसी के तहत सैकड़ों अध्यापकों को वांछित जिलों में पहुंचाया। हालांकि वर्ष 2015 की पॉलिसी में म्यूचुअल ट्रांसफर केवल उसी वर्ग-श्रेणी के लिए रखा गया था। मसलन सामान्य वर्ग के शिक्षक यदि म्यूचुअल ट्रांसफर चाहते हों तो सामान्य वर्ग के अध्यापक के साथ ही संभव था। यही नियम अन्य श्रेणियों पर भी इसी रूप में लागू रहा। अब आने वाली अंतर-जिला स्थानांतरण पॉलिसी की क्या रूप रेखा होगी, इसको लेकर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
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साभार: जागरण समाचार
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