Wednesday, June 28, 2017

सीखें मैनेजमेंट: इंतजार या देरी की स्थिति में परेशान हों

इंतजार का वक्त अच्छे-अच्छों को परेशान कर देता है। प्रतीक्षा की घड़ी में बड़े-बड़े थक जाते हैं, चिड़चिड़े हो जाते हैं। चिड़चिड़ापन एक तरह की हार है। क्या करें जब जीवन में प्रतीक्षा का ऐसा काल आए? आप किसी से मिलने
जाएं और कैबिन के बाहर प्रतीक्षा करनी पड़ रही हो तब बेचैनी शुरू हो जाती है। कहीं समय पर पहुंचना हो और रास्ते में ट्रैफिक जाम हो जाए तो भीतर उथल-पुथल शुरू हो जाती है। दूसरे लोगों को आगे-पीछे घुसते, गाड़ी ले जाते देखकर गुस्सा आने लगता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ट्रेन, बस से सफर करना हो और वह लेट हो जाए, जिसकी प्रतीक्षा हों वह समय पर नहीं आए तो भी आदमी परेशान होने लगता है। इन सारी स्थितियों में चिढ़, डर, संदेह, अहंकार को चोट, व्यवस्था पर आक्रोश ये सब स्वाभाविक रूप से बाहर निकलने लगता है। पढ़े-लिखे, बुद्धिजीवी लोग भी उटपटांग बातें करने लगते हैं। लेकिन ध्यान रखिए, ऐसी स्थिति में नुकसान हमारा ही होता है। व्यवस्था को कोसना, व्यवस्थापकों को डांटना इन सबसे एक अजीब-सा महौल पैदा हो जाता है, जिसमें निगेटिव तरंगें बह रही होती हैं। जीवन में जब भी कभी इस प्रकार का प्रतीक्षा काल आए, धैर्य मत छोड़िए। दुनिया में बहुत कुछ होकर ही रहता है। हर जगह अपनी सुविधाएं नहीं देखी जा सकतीं। मानवीय भूलों के कारण तो ऐसा होता ही है, प्रकृति भी अपना खेल दिखाती है। मौसम खराब हुआ तो ट्रेन लेट हो गई, हवाई जहाज उतर नहीं सका। ये सब प्रकृति के कारण होता है। जीवन में जब भी ऐसा अवसर आए, परेशान न हों, चिड़चिड़े न बनें। परमात्मा का विधान समझकर उस स्थिति को भी स्वीकार करें। बेकार क्रोध कर स्वयं का नुकसान करें। इंतजार की वह घड़ी भी बीत जाएगी और आप नुकसान से बच जाएंगे। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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