Monday, June 26, 2017

जुगाड़ के देसी ट्रैक-जिम से 4 साल में 90 युवा सेना-पुलिस में भर्ती

कैथल जिले के गांव गुलियाणा के युवाओं ने तालाब की बेकार पड़ी जमीन पर खुद देसी ट्रैक तैयार किया। जुगाड़ से लक्कड़ों का जिम बनाया। युवा सुबह-शाम यहां तैयारी करते हैं। नए रंगरूट इनकी तैयारी करवाते हैं।
रिजल्ट भी गजब का रहा है। अब यही देसी जुगाड़ गांव की ताकत बन गया है। पिछले चार साल में गांव के 90 युवक आर्मी पुलिस में भर्ती हो चुके हैं। दो दिन पहले आए रिजल्ट में भी गांव के 6 युवा हरियाणा पुलिस में भर्ती हुए हैं। 34 युवाओं ने आर्मी पुलिस का फिजिकल पास किया हुआ है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। गुलियाणा के राजपाल राविश, मजेंद्र महावीर ने बताया कि चार साल पहले गांव के युवाओं ने तालाब की बेकार पड़ी जमीन से झाड़ियां कीकर के छोटे पेड़ काटकर यहां पर करीब 6 एकड़ मेंं खुद ही 450 मीटर का ट्रैक तैयार किया। लक्कड़ों का देसी जिम खड़ा किया। टेलीफोन एक पुराना खंभा यहां पर गाड़ा गया। इसका प्रयोग रस्सी बांधकर ऊपर नीचे चढ़ने की तैयारी में करते हैं। युवा सुबह-शाम यहां पर पसीना बहाते हैं। कई ग्रुप तो ऐसे हैं जो रात को भी तैयारी करते हैं। नए रंगरूट गुरनाम, सहदेव अजय भी युवाओं की तैयारी करवाते हैं। मजेंद्र ने बताया कि कोई भी भर्ती खाली नहीं जाती, जिसमें गुलियाणा के युवक भर्ती होते हों। 
झाड़ियां साफ कर बनाया 450 मीटर का ट्रैक: युवा इतनी जबरदस्त प्रेक्टिस करते हैं कि फिजिकल के समय कोई परेशानी हो। युवा दोपहर को गर्मी, कड़ाके की ठंड और बरसात में भी प्रेक्टिस करते हैं। नए रंगरूट युवाओं को आर्मी जैसी ट्रेनिंग देते हैं। इसके बाद युवा हर भर्ती का फिजिकल आराम से पास कर लेते हैं। 
तीन साल पहले सड़क पर दौड़ लगाते हुए गांव के चार युवाओं की हो गई थी मौत: तीन साल पहले चार युवा सड़क पर दौड़ लगा रहे थे। इसी दौरान एक मैक्सी कैब ड्राइवर ने देर शाम को युवाओं को पीछे से टक्कर मार दी थी, जिसमें मौके पर सबकी मौत हो गई थी। सभी की उम्र 17 से 19 साल के बीच थी। ग्राम पंचायत के सरपंच राजेंद्र ने बताया कि कई बार यहां पर स्टेडियम बनाने की डिमांड जिला प्रशासन के पास भेज चुके हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है। ग्राम पंचायत के पास बजट नहीं है। 
तालाब की इस जमीन में गांव के पशु भी बैठते हैं। बेसहारा पशु भी इसी जगह में बैठते हैं। पशु ट्रैक पर गोबर भी करते हैं। हर दूसरे तीसरे दिन युवाओं को इसकी ट्रैक की सफाई करनी पड़ती है। रविवार को तो नियम बनाया हुआ है, सुबह पहले सफाई करते हैं, इसके बाद प्रेक्टिस।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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