सैन फ्रांसिस्को की एक स्टार्टअप उन ग्राहकों को ऑनलाइन लोन ऑफर करती है। जिनकी बैंकों द्वारा पारंपरिक रूप से अनदेखी की गई है। या जिन्हें बैंक लोन देना जोखिम भरा समझते हैं। स्टार्टअप 'लैंडअप' को इसके लिए
अमेरिकन ऑनलाइन पेमेंट कंपनी पेपल से भारी-भरकम इन्वेस्टमेंट मिला है। लैंडअप ने बताया कि ये इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिक है, इसलिए शर्तों का खुलासा नहीं किया जा रहा है। पेपल ने भी इन्वेस्टमेंट की पुष्टि की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। लैंडअप ने अपने बयान में कहा कि उसने केरी डोलान को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किया है। डोलान इससे पहले चार्ल्स श्वैब में ट्रेजरर और लैंडिंगक्लब में सीईओ रह चुके हैं। आधुनिक टेक्नोलॉजी की समझ रखने वाली कंपनियों में से एक लैंडअप की शुरुआत 2012 में हुई थी। उधार देने की प्रक्रिया को आसान बनाना और ऑनलाइन कस्टमर्स को छोटे बिजनेस के लिए जल्दी लोन उपलब्ध करवाने के लिए ही लैंडअप ने मार्केट में कदम रखा था। अब तक कंपनी करीब 6500 करोड़ रुपए क्रेडिट के रूप में दे चुकी है। दरअसल ये कंपनी खुद को अलग बताना चाहती है इसलिए उन ग्राहकों को लोन देने की पेशकश की है जिनके क्रेडिट स्कोर बहुत कम हैं या आमदनी निश्चित नहीं है। ताकि वो भी अपनी बिजनेस संबंधी फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा कर सकें। लैंडअप की सीईओ साशा ओर्लोफ के मुताबिक 'कंपनी कस्टमर बेस बढ़ाने के लिए नकदी निवेश करने की योजना बना ही रही थी। पेपल के साथ काम करके हम इसे और बेहतर तरीके से अंजाम दे पाएंगे।' उन्होंने बताया कि 'शुरुआती दिनों में कंपनी के पास वैसे लोग नहीं थे जो वित्तीय सेवाओं की जटिलताओं को समझ सके, पर अब हमने मजबूत लीगल और कंप्लायंस टीम तैयार कर ली है। वैसे भी पेपल के सीईओ डेन शुलमैन जरूरतमंदों की ज्यादा मदद करना चाहते हैं, यानी दोनों कंपनियों का विजन एक ही है, निश्चित ही हमारी जुगलबंदी अच्छे नतीजे लाएगी।'
मध्यम वर्ग पर भरोसा करके बिजनेस बढ़ाना चाहती है कंपनी: लैंडअप उन लोगों को अच्छे फाइनेंशियल प्रोडक्ट पेश करना चाहती है जिन्हें इसकी सख्त जरुरत है। बैंक उन्हें अच्छी सर्विस नहीं देते या फिर सेवाओं के लिए बहुत ज्यादा चार्जेस लगा देते हैं। कंपनी इन्हें उभरता मध्यम वर्ग मानती है, और कंपनी को उम्मीद है इन पर भरोसा करके बिजनेस बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि आने वाला समय इसी वर्ग का है। इनकी मदद करके वो इन्हें कर्ज के बोझ से उबारना चाहती है और उनके पैसों का सही इस्तेमाल चाहती है ताकि आर्थिक मोर्चे पर वो भी सफल हो सकें।
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साभार: भास्कर समाचार
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