Wednesday, June 28, 2017

गोरखालैंड आंदोलन हुआ उग्र, जीजेएम सदस्यों ने जीटीए समझौते की प्रतियां फाड़ी, 13वें दिन बंद रहा दार्जीलिंग

अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर आंदोलन मंगलवार को और तेज हो गया। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा और गोरखा टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) समझौते की प्रतियां
जलाई। जीजेएम ने मांगें नहीं माने जाने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही है। मंगलवार को दार्जीलिंग बंद के 13वें दिन जीजेएम के कुछ कार्यकर्ताओं ने शर्ट उतारकर विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और अपनी पीठ पर ट्यूबलाइट्स तोड़े। इससे कुछ कार्यकर्ताओं के जख्मी होने की खबर है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जीजेएम के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शहर के चौक बाजार में जीटीए की प्रतियां जलाई। इस बीच पूरे दार्जीलिंग में सुरक्षा बलों ने अपनी चौकसी बनाए रखी। जीजेएम के सूत्रों ने कहा है कि अब हिल्स में जीटीए नाम की किसी व्यवस्था का वजूद नहीं है। पार्टी के एक नेता नेकहा-हम जीटीए नहीं चाहते। हम गोरखालैंड चाहते हैं। हम अलग राज्य की मांग को लेकर अपना आंदोलन जारी रखेंगे। हम जीटीए के लिए होने वाले चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि जीटीए समझौते की प्रतियां जलाकर हमने राज्य सरकार के साथ अपने रिश्ते खत्म कर दिए हैं।
अलग गोरखालैंड के पक्ष में नहीं भाजपा: कई दिनों तक उलझन में रहने के बाद भाजपा ने साफ कर दिया है कि वह अलग गोरखालैंड राज्य का समर्थन नहीं करती। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि हम गोरखालैंड राज्य के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दार्जीलिंग हिल्स के लोगों के विकास की जरूरतें पूरी नहीं करने के लिए उनसे माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं गोरखालैंड का समर्थन नहीं करता, लेकिन मैं गोरखा लोगों के विकास के पक्ष में हूं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जीटीए का गठन हिल्स के लोगों के विकास की जरूरतें पूरी करने के लिए किया था। लेकिन, राज्य सरकार उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी। जीजेएम की सहयोगी दल रही भाजपा ने पहले गोरखालैंड की मांग को समर्थन देने की बात कही थी। इसी वादे के साथ उसने 2014 में दार्जीलिंग लोकसभा चुनाव भी जीता था। लेकिन, अब उसने रुख बदल दिया है। 
सिलीगुड़ी में भी कारोबार पर असर: करीबदो हफ्ते से दार्जीलिंग बंद के चलते सिर्फ दार्जीलिंग बल्कि सिलीगुड़ी में भी कारोबार प्रभावित हुआ है। पर्यटक जा चुके हैं। दार्जीलिंग में दुकानें बदं हैं। सड़के वीरान हैं। सुरक्षाबल पेट्रोलिंग कर रहे हैं। दार्जीलिंग के दुकानदारों का कहना है कि इस टूरिस्ट सीजन में उनकी कमाई खत्म हो गई है। पर्यटन स्थानीय लोगों की कमाई के लिए सबसे बड़ा स्रोत है। लेकिन, दुकानें बंद रहने से कमाई ठप है। उधर, पर्यटकों की आवक थमने का असर सिलीगुड़ी की दुकानों पर भी पड़ा है। सिलीगुड़ी के मशहूर हांगकांग मार्केट के दुकानदारों का कहना है कि पर्यटकों के नहीं आने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक गारमेंट शॉप के मालिक ने बताया-यह व्यस्त सीजन है। पर्यटक दार्जीलिंग आते समय या लौटते वक्त हमारी दुकानों पर आते हैं। लेकिन हिल्स में लगातार बंद होने से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। 
जीटीए के सभी सदस्य दे चुके हैं पद से इस्तीफा: जीटीए के चुने हुए सभी 45 सदस्यों ने पिछले हफ्ते ही इस्तीफा दे दिया था। ये सभी जीजेएम के हैं। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जीजेएम ने 2011 में जीटीए समझाैते पर हस्ताक्षर किए थे। जीटीए के तहत दार्जीलिंग, कर्सियांग और मिरिक के अलावा सिलीगुड़ी सब-डिविजन के कुछ हिस्से आते हैं। कलिमपोंग जिला भी इसके तहत आता है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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