Tuesday, June 27, 2017

धर्म और आस्था के नाम पर ठगी का 'धंधा': हम बह जाते हैं और वे और भी 'निकम्मे' होते चले जाते हैं

आज सुबह 10 बजे गली में माता के भजन सुनाई दिए... छज्जे पर खड़े होकर देखा... एक थ्री-व्हीलर... छत पर स्पीकर 25-26 साल का एक आदमी सफ़ेद कुर्ते पायजामे में ... एक मैली सी साड़ी बाँधी हुई औरत ... ऑटो रिक्शा गली में खड़ा करके दोनों ने घर-घर "धावा" बोलना शुरू कर दिया... गली के लोग उस
धार्मिक संगीत सुनकर और 'जय माता दी' लिखी हुई "माता की पालकी" को देखकर भाव-विह्वल ... कोई आटा ला रहा है ... कोई 10 दे रहा है कोई 20 ... कोई वस्त्र-दान करके "पुण्य" कमा रहा है ... यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मैं नीचे आकर गेट से बाहर निकला तो उस औरत ने कहा 10 रुपए दे दो... मैंने फिर 2-4 सवाल पूछ लिए...
कहाँ से आए हो?... बोली-महाराष्ट्र से 
मैंने कहा - गाडी का नंबर तो लुधियाना का है, पंजाब में, किसी सूरज कुमार के नाम से है गाडी ... बोली नहीं - महाराष्ट्र की ही है ...
मैं बोला - ये पैसे इकट्ठे करके क्या करते हो इसका ... बोली - यात्रा करते हैं 
कहाँ की यात्रा? .... उसने बोले बिना हाथ के इशारे से ही जवाब दिया ... शायद कह रही थी - दूर की यात्रा 
मैंने कहा - सही से बताइए क्या करते हैं पैसे का ... बोली- खाते हैं और यात्रा भी करते हैं 
फिर पूछ लिया मैंने तो - कहाँ की यात्रा पर हो ... बोली - माता की यात्रा 
कौन सी माता की यात्रा? .... बोली - वही माता, अरे वो 'सेरो वाली माता'
मैंने कहा - जगह का तो नाम बताइए ... बोली - वो पहाड़ पर है जो .... जम्मू कटरा माता 
माता का नाम नहीं पता क्या? .... बोली - काली माता होगी सायद 
चलो - फिर मैंने कहा - ये साथ वाला आदमी कौन है? ... बोली - देवर है 
(साथ साथ मैं फ़ोन से 3-4 एंगल से उस गाडी की फोटो ले चूका था)
मैंने पूछा - क्या नाम है आपके देवर का? ... बोली - नाम नहीं पता है जी 
मैंने कहा - झूठ बोलकर भगवान के नाम पर 'पैसे ठगते हो?' 
फिर तो वो औरत ये Nine-Two-Eleven हुई कि जो स्पीकर आधे घंटे से "कान खा रहा था" उसकी आवाज एकदम खामोश और गाडी का नंबर 9211 ही हो गया फिर तो 
ये आर्टिकल लिखकर आपसे विचार साझा करने का मेरा उद्देश्य केवल इतना ही है कि ऐसे ही गली मोहल्ले में 'अलग-अलग तरीके से' जेब काटने वाले 'ठगों' से हमेशा सावधान रहें! अपराधियों का साथ देकर स्वयं भी अपराधी न बनें। हाँ अगर आप धार्मिक प्रवृत्ति रखते हैं तो मंदिर जाएं, वहां किसी "केवल अच्छे उद्देश्य से" यदि चंदा लिया जा रहा हो तो श्रद्धानुसार अवश्य दें, लेकिन देश नकली "भिखमंगों" के कारण पहले ही 'कलंकित' है, इस बीमारी को ख़त्म करने में सब सहयोग करें


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