Wednesday, June 28, 2017

14 साल की उम्र में साध्वी ममता चार राज्यों में निशुल्क कर चुकी हैं 40 भागवत कथाएं, चढ़ावे में आए 80 लाख रुपए भी गोशाला को दे दिए

मात्र 10 साल की उम्र में छठीं क्लास की छात्रा ममता ने एक बार अध्ययन के बाद जब भागवत कंठस्थ कर ली तो परिजनों के साथ ही पूरा गांव चौंक गया। साध्वी ममता अब 14 वर्ष की हैं और उन्हें संस्कृत में 4500 से अधिक श्लोक भगवद् प्रसंग कंठस्थ हैं। यही नहीं, यह बाल व्यास अस्त्र-शस्त्र जैसे तलवारबाजी, बनाटी, नानचाकू, योग, व्यायाम, खेलकूद
आत्मरक्षा के गुरों में भी वह निपुण है। साध्वी ममता अब दसवीं कक्षा में पढ़ती हैं। यह सब कैसे संभव हुआ, इस सवाल पर उन्होंने कहा, पिता स्वामी कुशाल गिरी, गुरू निंबार्काचार्य पीठाधीश्वर श्री राधा सर्वेश्वर देवाचार्य राधा-कृष्ण की कृपा से ही यह सब हो पाया है। कहा, छोटी आयु में ही पिताजी के सहयोग से रामायण, गीता, महाभारत आदि ग्रंथों का अध्ययन किया कर लिया था। साध्वी ममता ने नागौर शहर में माली समाज के संतों के ही परिवार में जन्म लिया है। ममता ने 10 साल की आयु में भागवत कथा करना शुरू किया था। तब वह कक्षा 6 में पढ़ती थीं। इन 4 सालों में उसने पंजाब, हरियाणा, गुजरात राजस्थान 40 भागवत कथाएं की हैं और सब निशुल्क की हैं। फिलहाल साध्वी घमंडिया के निकट सरदारपुरा बीका में गोशाला के लिए कथा कर रही हैं। आयोजकों का दावा है कि यह विश्व की सबसे छोटी आयु की कथावाचिका हैं। साध्वी ममता का पूरा परिवार ही संत-वृत्ति का है। उनके दादा और पिताजी के नाना-नानी बुआजी भी संत-साध्वी रहे हैं। पिताजी स्वामी कुशाल गिरी खुद गोसेवक हैं। उन्हीं से प्रेरित होकर बेटी भी गोसेवा में जुट गई। उनके पिता भी भागवत कथा के माध्यम से लोगों को गाय बचाने के लिए प्रेरित करते हैं। 
उद्देश्यकेवल एक- गाय, पिता और मां का आदर हो: यूं तो साध्वी ममता कथा में भगवान के चरित्रों और गुणों का बखान करती ही हैं लेकिन सबसे ज्यादा जोर गाय, मां और पिता के आदर पर रहता है। युवाओं को संस्कारवान बनाने पर उनके प्रवचनों का फोकस रहता है। साध्वी ममता चाहती हैं, बिना किसी लड़ाई या विरोध के दुनिया से सब कत्लखाने बंद हो जाएं। 
जहां भी भागवत करती हैं, दो लाख रुपए उस गोशाला को देती हैं दान में: साध्वी ममता कथाएं गाय के लिए निशुल्क करती हैं। उनके पिता का एक ट्रस्ट है- भागवत सेवा प्रकल्प ट्रस्ट। ममता की कथा में जो भी चढ़ावा आता है, सब गौ हितार्थ लगता है और जहां कथा होती है, उसी गोशाला में दे दिया जाता है। साध्वी ममता ने बताया कि चढ़ावा यदि कम रहता है तो उनका ट्रस्ट उसमें शेष राशि को मिलाकर दो लाख रुपए दान में उस गोशाला को देता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.