Wednesday, June 28, 2017

गूगल ने किया सर्चिंग घोटाला; यूरोपियन यूनियन ने लगाया 17,400 करोड़ रु. का जुर्माना

गूगल को गलत तरीके से शॉपिंग सर्विस को प्रमोट करने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। यूरोपियन यूनियन (ईयू) ने उसकी पैरेंट कंपनी अल्फाबेट पर 17,400 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया है। यह गूगल की सालाना कमाई
का करीब 10% है। यूरोपियन कमीशन का कहना है कि गूगल ने शॉपिंग सर्विस को पहले दिखाने के लिए सर्च रिजल्ट्स में तकनीकी गड़बड़ी की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इससे दूसरी कंपनियों को नुकसान हुआ। यही नहीं, गूगल को चेतावनी भी दी है कि यदि उसने 90 दिन के अंदर व्यवहार नहीं बदला तो और जुर्माना देना होगा। ये अल्फाबेट की प्रतिदिन के ग्लोबल टर्नओवर का 5% होगा। ईयू ने यह कार्रवाई करीब 7 साल तक चली जांच के बाद की है। दरअसल, गूगल के खिलाफ कई कंपनियों ने शिकायत कर रखी थी कि वह सर्च रिजल्ट्स में हेरफेर कर रही है। इनमें येल्प, ट्रिपएडवाइजर, फाउंडेम, न्यूज कॉर्प और फेयरसर्च जैसी कंपनियां शामिल थीं। ईयू में चले किसी एंटी ट्रस्ट केस में यह पहला मौका है, जब किसी कंपनी पर इतना बड़ा जुर्माना लगाया गया है। इससे पहले 2009 में अमेरिकी चिपमेकर कंपनी इंटेल पर 1.06 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। यूरोपियन कमीशन ने जांच में पाया कि गूगल ने अपने सिस्टम में ऐसा तकनीकी हेरफेर किया है, जिससे सर्च रिजल्ट्स में उसकी शॉपिंग सर्विस ही प्रमुखता से दिखती है। इसका असर दूसरे इंटरनेट सर्च इंजन्स पर पड़ रहा है और वे इससे हतोत्साहित हो रहे हैं। ईयू के इस फैसले से माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कंपनी के खिलाफ लंबित दो अन्य मामलों में कड़ा रुख अपनाया जा सकता है। फैसले के बाद अल्फाबेट के शेयर में 1.2% की गिरावट दर्ज की गई। 
एपल पर लगाई थी 96,000 हजार करोड़ रु. की टैक्स पेनाल्टी: इससे पहले पिछले साल यूरोपियन यूनियन ने एपल को करीब 96 हजार करोड़ रुपए टैक्स पेनाल्टी अदा करने का आदेश दिया था। यूरोपियन कमीशन का कहना था कि दुनिया की सबसे अधिक वेल्यू वाली कंपनी एपल आयरलैंड में अपने अरेंजमेंट के चलते टैक्स से बच गई, जो अवैध था। एपल ने आयरलैंड में 11 साल तक बेहद कम टैक्स दिया। 
यूरोपियन यूनियन के एंटी ट्रस्ट रूल्स के मुताबिक गूगल ने जो किया वह अवैध है। उसने अन्य कंपनियों को मेरिट के आधार पर कंपटीशन और इनोवेशन के अधिकार से वंचित किया। सबसे जरूरी बात तो यह है कि गूगल ने यूरोप के कस्टमर्स को सर्विस की वास्तविक चॉइस मुहैया नहीं कराई।' - मार्ग्रेथ वेस्टेगर, यूरोपियन यूनियन की कमिश्नर
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साभार: भास्कर समाचार 
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