Friday, June 30, 2017

लाइफ स्किल: जब अच्छाई ऊपर से शुरू होती है तो तेजी से फैलती है

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
मैं नहीं जानता कि हमारी प्रतिक्रिया क्या होगी अगर कोई हमारे दरवाजे पर दस्तक दे और दरवाजा खोलते ही हमारे पैरों में गिरकर कहे कि सिर्फ आप ही मेरे बेटे को मरने से बचा सकते हैं। वह भी ऐसा बच्चा, जिसके लिए डॉक्टर्स ने चेतावनी दी हो कि तीन महीने में सर्जरी करनी जरूरी है, क्योंकि बच्चे के दिल में छेद है। बीमारी का नाम है- आर्टियल सेप्टल डिफेक्ट (एएसडी)। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद की नसरीन कुरैशी ने एएसडी से पीड़ित अपने 11 साल के बेटे जुल्खैरनेन गौस कुरैशी के साथ के पार्टटाइम पेंटर 42 साल के प्रतापसिंह अनिल यादव के घर का दरवाजा खटखटाया। कहा कि मेरे पास अपने बेटे को बचाने के लिए 5 लाख रुपए नहीं है। यादव ने पलक तक नहीं झपकाई। उन्होंने सोचा ईश्वर ने उन्हें अवसर दिया है कि पिछले साल उन्हें जो मिला है, उसे लौटाया जा सकता है। वे बिना एक पल गंवाए सक्रिय हो गए। 
यादव की भतीजी छह साल की वैशाली ने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान खींचा था, जब उसने पत्र लिखकर अपनी सर्जरी फ्री करने की अपील उनसे की थी, क्योंकि वह गरीब थी। उसके दिल में भी छेद था और प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद सर्जरी पुणे में हो सकी थी। इसके बाद से वह सामान्य जीवन जी रही है। एक पल के लिए यादव का खयाल आया कि प्रधानमंत्री अगर हजारों किलोमीटर दूर उनकी भतीजी की मदद कर सकते हैं तो वे खुद जरूरतमंद मां की मदद के लिए 300 किलोमीटर हाथ क्यों नहीं बढ़ा सकते। 
कुरैशी के बेटे को सांस लेने में दिक्कत और थकान की समस्या थी। इसके साथ ही धड़कन तेज हो जाती थी। जब वह सोलापुर के एक डॉक्टर के पास उसे ले गई तो डॉक्टर्स ने बताया कि उसे हार्ट के ऊपर के दो चैम्बर्स में एएसडी है। उन्होंने बताया कि सर्जरी जरूरी है। उसने कहा कि वह तो घरों में काम करती है, इसलिए पांच लाख रुपए का इंतजाम करने में अक्षम है। परिचितों में बात फैल गईं। कुछ रातें वह सो नहीं सकी। फिर किसी ने उसे वैशाली यादव की वीडियो क्लिप दिखाई कि कैसे पीएमओ की मदद से उसकी निशुल्क हार्ट सर्जरी हुई। इस तरह वो पुणे में यादव के दरवाजे तक पहुंची थी। 
फिर दोनों परिवारों ने उन अस्पतालों के चक्कर लगाने शुरू किए जो मुफ्त हार्ट सर्जरी करने का दावा करते हैं। उन्होंने जिला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर पुणे के बड़े अस्पातालों तक का दरवाजा खटखटाया। गरीबों के लिए मुफ्त सर्जरी की सुविधा है, लेकिन इन्हें निराशा हाथ लगी। फिर एक दिन यादव को एक वाट्सएप मैसेज मिला कि डेक्कन एरिया में सह्याद्रि अस्पताल मुफ्त सर्जरी कर रहा है। अस्पताल ने उन्हें आश्वस्त किया कि राजीव गांधी जीवनदायी आरोग्य योजना (आरजीजेएवाय) के तहत मदद की जा सकती है, अगर परिवार आधार कार्ड और रोगी के नाम वाला राशन कार्ड ले आए तो। 
कुछ आरंभिक जांचों के लिए परिवार को भुगतान करना पड़ा, जब सर्जरी का समय आया तो उन्हें पता चला कि जुल्खैरनेन का नाम राशनकार्ड में नहीं है। लेकिन इलाज के इस मौके को वे गंवाना नहीं चाहते थे, इसलिए यादव और बच्चे के चाचा शिराज ने एक पड़ोसी से दोपहिया वाहन लिया और 300 किलोमीटर दूर चलाकार उस्मानाबाद पहुंचे। इस बुधवार को सुबह 4 बजे वहां पहुंचे और समाज के एक सदस्य की मदद से सुबह तहसीलदार के घर पहुंचे। ताकि बच्चे का नाम राशनकार्ड में जुड़वाया जा सके। ऑपरेशन के बाद अब उसकी सांस लेने की समस्या का समाधान हो गया है। हालांकि ऑपरेशन बड़ा नहीं था, लेकिन जटिल तो था ही। 
फंडा यह है कि अगर अच्छाई ऊपर से ही शुरू हो जाती है तो भरोसा कीजिए यह तेजी से फैलती है। इसे खुद भी आजमाइए। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
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