Tuesday, June 27, 2017

चंदा विवाद में जाट आंदोलनकारी दो धड़ों में बंटे: उचाना में 9 जुलाई को जाट सम्मेलन में आगामी रणनीित की घोषणा


जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जुटाई गई चंदे की बची करीब 38 लाख रुपए की राशि को लेकर उठे विवाद से आंदोलनकारियों के दो धड़े बन गए हैं। पिछले कई दिनों से जहां समिति के पदाधिकारी बैठक कर रहे हैं वहीं जिला प्रधान रहे वीरभान ढुल द्वारा अलग बैठक से साफ गुटबाजी नजर रही थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसी विवाद के चलते सोमवार को अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय महासचिव अशोक बल्हारा की अगुवाई में बैठक कर समिति की जिला कार्यकारिणी को ही भंग कर 11 सदस्यों की एडहॉक समिति बना दी। उसके जिला संयोजक के तौर पर बरसोला के कैप्टन वेदप्रकाश की नियुक्ति की घोषणा कर दी। समिति द्वारा आगामी नौ जुलाई को जिला के उचाना कस्बे में जिला स्तरीय जाट सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन के बाद समिति नये जिलाध्यक्ष समेत पूरी कार्यकारिणी का गठन नये सिरे से किया जाएगा। 
जाट धर्मशाला में बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में बलहारा ने कहा कि समिति के जिला कार्यकारी प्रधान पद पर रहे वीरभान ढुल का समिति के कार्यकलापों और नीतियों में विश्वास नहीं रहा था। उन्होंने पिछली बैठकों में भाग लेकर अनुशासनहीनता का परिचय दिया है। उनकी वजह से सभी कार्य बाधित हो रहे थे, इसलिए आज बैठक में समिति के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्यों, जिला ब्लाकों के सदस्यों के एक जुट होकर पूरी कार्यकारिणी को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया है। साथ ही कहा कि जींद से जो चंदा राशि शेष है वह राशि जिला कार्यकारिणी के पास ही रहेगी। इसको खर्च करने का अधिकारी जिला कार्यकारिणी को ही दिया जाएगा। यशपाल मलिक ने एक भी रुपया किसी जिले से नहीं लिया है। 
दो मंत्रियों की वजह से दो जिलों में उठा चंदा विवाद: चंदे को लेकर इस तरह के विवाद उठने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हरियाणा के दो ही जिलों से इस तरह की दिक्कत आई है। हरियाणा के दो मंत्री समिति को दो फाड़ करना चाहते हैं, ताकि जाट आरक्षण आंदोलन की हवा निकाली जा सके। हालांकि बल्हारा ने मंत्रियों के नामों का खुलासा तो नहीं किया,मगर यह जरूर चेताया कि अभी समिति ने अपना आंदोलन स्थगित किया है,पूरी तरह से समाप्त नहीं किया।
ऐसा बढ़ा विवाद: उल्लेखनीय है कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रबंधों पर जिले में लाखों रुपया पानी की तरह बहाने के बाद भी जो अच्छी-खासी रकम बच गई थी, उसे यशपाल की मलिक की ट्रस्ट जाट सेवा संघ के खाते में जमा कराने से बवंडर मच गया। कुछ लोगों ने आंदोलन के बाद बची राशि 37 लाख 85 हजार 522 रुपए की राशि को ट्रस्ट में जमा करा दिया था। इसको लेकर समिति की जिला ईकाई के कुछ पदाधिकारियों ने बैठक कर विरोध जताना शुरू किया। कहा कि उसे किसी ट्रस्ट में जमा नहीं करवाया जाएगा। इसके लिए जिले में समिति के कोषाध्यक्ष और उनके साथ जुड़े पांच-छह लोगों से हिसाब-किताब मांगा जाएगा। अगर समिति कोषाध्यक्ष और उनके साथियों ने समाज द्वारा आंदोलन के दौरान दी गई राशि 37 लाख 85 हजार 522 को नहीं लौटाया तो उनके विरोध में बड़ा निर्णय लिया जाएगा। इसी फैसले के विरोध में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी अशोक बल्हारा, प्रदेशाध्यक्ष सूबेसिंह ढाका प्रवक्ता रामभक्त ने जाट समाज के लोगों की मीटिंग लेकर कार्यकारिणी भंग करने का निर्णय लिया। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.