कुछ डॉक्टरों के गैर जिम्मेदाराना रवैये से तंग आकर इंडियन मेेेेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने नया कोड ऑफ कंडक्ट जारी किया है। यह कोड डाक्टरों के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी लागू होगा। आईएमए ने कहा है
कि डॉक्टर सोशल मीडिया में मरीजों के बारे में कुछ भी गलत लिखने से बचें। मरीज के बारे में तभी कुछ लिखें, जब वह बहुत जरूरी और विश्वसनीय हो। साथ ही डॉक्टर धर्म और जाति के आधार पर मरीजों से कोई भी भेदभाव करें। यह दंडनीय अपराध है। आईएमए ने डॉक्टरों को पेशे से बाहर के लोगों के साथ बैठकर शराब पीने से बचने को भी कहा है। साथ ही महिला और पुरुष डॉक्टरों के शराब पीने की लिमिट भी तय की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
दरअसल, आईएमए को हाल ही में एक ईमेल मिला था। इसमें फेसबुक पर शेयर हो रहे एक वीडियो का हवाला था, जिसमें मुंबई के एक डायलिसिस सेंटर पर तैनात डॉक्टर मरीज को अस्पताल से बाहर फेंकने और मरते दम तक छोड़ने की धमकी दे रहा था। आईएमए का यह नया कोड ऑफ कंडक्ट इसी घटना के बाद आया है। आईएमए ने कहा है कि डॉक्टर लोगों को स्वस्थ जीवन शैली के बारे में जो कुछ भी कहते हैं, उस पर खुद भी अमल करें। यह डाक्टरों का कर्तव्य भी है। साथ ही अनुरोध किया गया है कि डॉक्टर मरीजों के साथ नरमी से पेश आएं। इस पेशे की गरिमा बनाए रखें।
इसके अलावा सभी डाॅक्टरों को सुझाव दिया गया है कि वह पेशे से बाहर के लोगों के साथ सार्वजनिक तौर पर शराब पीएं। सिर्फ डॉक्टरों के साथ ही शराब पीएं। आईएमए ने डॉक्टरों के लिए शराब पीने की सेफ लिमिट भी बताई है। पुरुष डॉक्टरों के लिए यह लिमिट 18 मिली और महिलाओं के लिए 9 मिली बताई गई है। इसे आईएमए की अल्कोहल पॉलिसी का हिस्सा बताते हुए यह भी ताकीद दी गई है कि आईएमए की बैठकों में शराब का सेवन नहीं होना चाहिए। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने मेडिकल काउंंसिल ऑफ इंडिया के कोड ऑफ एथिक्स का हवाला देते हुए कहा कि डॉक्टरों को अपने पेशे की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। एक मरीज को हमेशा अपने डॉक्टर पर भरोसा करना चाहिए। अगर किसी भी डॉक्टर ने सार्वजनिक तौर पर अमर्यादित व्यवहार किया तो केवल उसके प्रति लोगों का भरोसा टूटेगा, बल्कि पूरे पेशे का नाम भी खराब होगा।
बनें सेहत के ब्रांड एंबेसडर, डॉक्टर्स और टीचर्स-डे पर मनाएं ड्राई डे: आईएमए ने अपनी एडवाइजरी में संगठन की कोड ऑफ कंडक्ट नीति का भी जिक्र किया है। यह भी सुझाव दिया गया है कि डॉक्टरों को समाज के लिए 'सेहत का ब्रांड एंबेसडर' बनना चाहिए। उनसे डॉक्टर्स-डे (1 जुलाई) और टीचर्स-डे (5 सितंबर) को ड्राई-डे के तौर पर मनाने का आग्रह किया गया है। डॉक्टरों को सलाह दी गई है कि वह मरीजों के प्रति अपनी जवाबदेही समझें। जो सलाह वह मरीजों को देते हैं, उस पर खुद भी ईमानदारी से अमल करें। उनके साथ धर्म और मजहब के आधार पर भेदभाव करें। यह दंडनीय अपराध है।
बनें सेहत के ब्रांड एंबेसडर, डॉक्टर्स और टीचर्स-डे पर मनाएं ड्राई डे: आईएमए ने अपनी एडवाइजरी में संगठन की कोड ऑफ कंडक्ट नीति का भी जिक्र किया है। यह भी सुझाव दिया गया है कि डॉक्टरों को समाज के लिए 'सेहत का ब्रांड एंबेसडर' बनना चाहिए। उनसे डॉक्टर्स-डे (1 जुलाई) और टीचर्स-डे (5 सितंबर) को ड्राई-डे के तौर पर मनाने का आग्रह किया गया है। डॉक्टरों को सलाह दी गई है कि वह मरीजों के प्रति अपनी जवाबदेही समझें। जो सलाह वह मरीजों को देते हैं, उस पर खुद भी ईमानदारी से अमल करें। उनके साथ धर्म और मजहब के आधार पर भेदभाव करें। यह दंडनीय अपराध है।
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साभार: भास्कर समाचार
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