प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के पहले दिन अमेरिका में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "भारत के आम आदमी को भ्रष्टाचार और बेईमानी से नफरत है। पिछली सरकारें इसी वजह से बदली गईं।
लेकिन तीन साल के कार्यकाल में मेरी सरकार पर एक भी दाग नहीं लगा।' भारतीय समय के अनुसार रविवार रात साढ़े 12 बजे मोदी ने भाषण की शुरुआत "अमेरिका में बसे मेरे सभी परिवारजन' के संबोधन से की। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वर्जीनिया के होटल रिट्ज कार्टन में पहुंचे करीब 600 लोगों से मोदी ने कहा कि आपने मेरे लिए इतने बड़े कार्यक्रम किए हैं कि यह दुनिया में मेरी पहचान बन गए। आपके बीच आकर मुझे नई उमंग और उत्साह मिलता है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि जो भी सपने आपने भारत को लेकर देखे हैं, उन्हें पूरा करूंगा। मोदी ने कहा कि आपकी क्षमताओं को अमेरिका में अनुकूल माहौल मिला। इसका असर यह हुआ कि आप खुद तो फले-फूले ही, साथ में अमेरिका के फलने-फूलने में सहायक बन रहे हो। ऐसी ही क्षमता, बुद्धि और प्रतिभा के साथ भारत में मौजूद सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों को भी अब अनुकूल माहौल मिल रहा है। इससे हिंदुस्तान कितनी तेजी से बढ़ेगा, यह आप अंदाजा लगा सकते हैं। मोदी ने कहा कि अाज भारत में बड़ा परिवर्तन यह आया है कि हर देशवासी कुछ कुछ करना चाहता है। पूरे देश में यही जज्बा है तो उस गति से बढ़ेगा, जो आज तक कभी नहीं रही। इस दौरान उन्होंने अपनी सरकार की कई उपलब्धियां भी गिनाईं। इनमें सर्जिकल स्ट्राइक, डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर और पारदर्शिता के लिए तकनीक का प्रयोग शामिल हैं।
प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी ने देश में करीब चार दशक पहले लागू एमरजेंसी को याद करते हुए कहा कि यह काली रात लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बड़ी चोट थी। अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 33वें संस्करण में मोदी ने कहा कि 42 वर्ष पहले की वह रात कोई भी लाेकतंत्र प्रेमी और भारतवासी भुला नहीं सकता। देश को जेलखाने में बदल दिया गया था। विरोधी स्वर दबा दिए गए थे। न्याय व्यवस्था भी एमरजेंसी की भयावह छाया से बच नहीं पाई थी। मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था एक संस्कार है। लोकतंत्र को चोट पहुंचाने वाली बातें याद रखना जरूरी है। युवा और लोकतंत्र प्रेमी इसके संरक्षण के लिए हमेशा सजग रहें। मोदी ने आपातकाल पर अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लिखी एक कविता भी सुनाई।
मोदी से मुलाकात से पहले अमेरिका के रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रम्प को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि भारत व्यापार और निवेश से जुड़ी शर्तों को सरल करने में नाकाम रहा है। वह अपने बाजार खोलने के लिए सही रिफाॅर्म्स नहीं कर सका है। इसलिए ट्रम्प को मोदी के सामने इन दोनों विषयों को प्रमुखता से रखना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि भारतीय इकोनॉमी के कई सेक्टर में अनुचित और कड़ी शर्तें हैं। खासकर, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स अौर लाइसेंस की कठिन प्रक्रिया। ऐसी शर्तों के कारण ही अमेरिकी कंपनियां भारत में व्यापार करने में कठिनाई महसूस करती हैं। सबसे अधिक परेशानी सोलर और इन्फॉर्मेशन टेकनोलॉजी, टेलिकम्युनिकेशन कंपनियों को हो रही है। पत्र में वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग का भी जिक्र किया गया है। इसमें व्यापार की सरलता के लिए भारत को 190 देशों में 130वीं रैंकिंग दी गई थी।
मोदी से मुलाकात से पहले अमेरिका के रिपब्लिकन और डेमोक्रेट सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रम्प को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि भारत व्यापार और निवेश से जुड़ी शर्तों को सरल करने में नाकाम रहा है। वह अपने बाजार खोलने के लिए सही रिफाॅर्म्स नहीं कर सका है। इसलिए ट्रम्प को मोदी के सामने इन दोनों विषयों को प्रमुखता से रखना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि भारतीय इकोनॉमी के कई सेक्टर में अनुचित और कड़ी शर्तें हैं। खासकर, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स अौर लाइसेंस की कठिन प्रक्रिया। ऐसी शर्तों के कारण ही अमेरिकी कंपनियां भारत में व्यापार करने में कठिनाई महसूस करती हैं। सबसे अधिक परेशानी सोलर और इन्फॉर्मेशन टेकनोलॉजी, टेलिकम्युनिकेशन कंपनियों को हो रही है। पत्र में वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग का भी जिक्र किया गया है। इसमें व्यापार की सरलता के लिए भारत को 190 देशों में 130वीं रैंकिंग दी गई थी।
सरकार को सामान बेचने या सप्लाई के लिए जाएं ई-जीईएम पर: मोदीने कहा कि सरकार को सामान की सप्लाई करने और बेचने की नयी व्यवस्था ई-जीईएम (गवर्नमेंट मार्केट प्लेस) से पारदर्शिता आई है और बिचौलिए खत्म हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था के तहत अगर कोई व्यक्ति सरकार को कोई चीज सप्लाई या बेचना चाहता है तो इसमें अपना नाम पंजीकृत करा सकता है। वस्तु का मूल्य तय करके उसे कीमत दी जाती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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