साभार: जागरण समाचार
स्कूली बच्चों के सीखने की क्षमता (लर्निग आउटकम) को बेहतर बनाने के लिए पाठ्यक्रम में कटौती के फैसले पर फिलहाल अमल शुरू हो गया है। एनसीईआरटी ने पहले ही साल में नौवीं से लेकर बारहवीं तक के कई विषयों
के पाठ्यक्रम में दस फीसद से ज्यादा की कटौती की है। साथ ही इन कक्षाओं के प्रत्येक विषयों के पाठ्यक्रम को औसतन 15 से 16 पाठ तक ही रखे जाने की सहमति दी है।
एनसीईआरटी को हालांकि इस फैसले के तहत स्कूली पाठ्यक्रम (सिलेबस) में करीब 50 फीसद तक की कटौती का लक्ष्य दिया गया है। बावजूद इसके वह इतनी बड़ी कटौती से लिए तैयार नहीं है। फिलहाल पाठ्यक्रम में कटौती करने की मुहिम में एनसीईआरटी ने जिन कक्षाओं और विषयों के पाठ्यक्रमों में कटौती की है, जिसमें नौवीं के सामाजिक विज्ञान की किताब से मौजूदा समय में अप्रासंगिक हो चुके करीब तीन पाठ (चैप्टर) को हटाया गया है। अभी तक इसमें 24 पाठ थे। इसी तरह विज्ञान विषय के भी कुछ पाठों से भी अप्रासंगिक बिंदुओं को हटाया गया है। इसी क्रम में दसवीं और बारहवीं के कई विषयों के पाठों में भी कमी की गई है। इनमें बारहवीं की भौतिक विज्ञान से भी कई पाठों को छोटा किया गया है।
एनसीईआरटी के जुड़े अधिकारियों के मुताबिक पाठ्यक्रमों में कटौती की यह प्रक्रिया नौवीं से बारहवीं तक के सभी विषयों में अपनाई जा रही है। पहले साल में इनमें से कुछ बदलाव किए गए है, जबकि कुछ बदलावों को चिन्हित किया गया है। जिन्हें अगले चरण में किताबों से हटाया जाएगा। फिलहाल एनसीईआरटी की रणनीति नौंवीं से बारहवीं तक के सभी विषयों के पाठ्यक्रमों को औसतन 15 से 16 पाठों के बीच रखना है। मौजूदा समय में कई विषयों में 25 से 28 पाठ हैं।
पाठ्यक्रम कम करने के आए एक लाख सुझाव: एनसीईआरटी ने मुताबिक पाठ्यक्रम में बदलाव का यह फैसला देश भर से मांगे गए सुझावों के बाद लिया गया है। इसके तहत 25 हजार से ज्यादा लोगों की तरफ से एक लाख से ज्यादा सुझाव मिले थे। सुझाव देने वालों में स्कूलों के शिक्षकों के साथ स्कूली बच्चों के अभिभावक और बड़ी संख्या में शिक्षाविद् भी शामिल थे।