साभार: जागरण समाचार
स्मार्टफोन हर किसी की दिनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि सालभर से भी कम उम्र के बच्चों को माता-पिता फोन दिखाने लगे हैं। तीन बरस का बच्चा जब फोन पर अपनी मर्जी के यूट्यूब चैनल
चलाने लगता है, तो टचस्क्रीन पर उसकी अंगुलियों की करामात देख माता-पिता बहुत गर्व महसूस करते हैं।
अगर आप भी ऐसे अभिभावकों में से हैं, तो जरा संभल जाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बच्चों को फोन और टीवी दिखाने को लेकर चेताया है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ज्यादा देर फोन देखना बच्चे की सेहत पर भारी पड़ सकता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि टीवी, मोबाइल या लैपटॉप पर ज्यादा वक्त बिताने से बच्चों की शारीरिक व मानसिक सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है।
हालांकि अब तक इसको लेकर बहुत ज्यादा डाटा नहीं जुटाया जा सका है। डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर में मोटापे के बढ़ते खतरे से निपटने और बच्चों का बेहतर विकास सुनिश्चित करने के लिए अभियान चलाया है। इसी अभियान के अंतर्गत स्क्रीन टाइम यानी मोबाइल या टीवी के सामने बिताए जाने वाले वक्त को लेकर भी दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि जीवन के शुरुआती पांच साल बच्चों के दिमागी विकास और स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अहम होते हैं। ऐसे बच्चों का स्क्रीन टाइम कम से कम रखने की कोशिश करनी चाहिए।
बेहतर होगा कि एक साल से छोटे बच्चों को इनसे पूरी तरह दूर रखा जाए। पांच साल तक के बच्चों के लिए दिन में एक घंटे का स्क्रीन टाइम पर्याप्त है। ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चे मोटापे का शिकार हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, दुनियाभर में पांच साल से कम उम्र के करीब चार करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार हैं। इनमें से आधे बच्चे अफ्रीका व एशिया से हैं।