Tuesday, April 30, 2019

राहुल गांधी ने फिर जताया खेद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संदर्भ देकर चौकीदार चोर है कहा था

साभार: जागरण समाचार  
राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संदर्भ देकर ‘चौकीदार चोर है’ की टिप्पणी पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को शीर्ष अदालत में एक बार फिर खेद जताया। अपन नए हलफनामे में राहुल गांधी ने
याचिकाकर्ता भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी पर आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल कर उन्होंने अपने निजी और राजनीतिक लाभ के लिए अदालत को राजनीतिक विवाद में घसीटा है। गांधी ने अवमानना याचिका खारिज करने की भी मांग की है। वहीं, लेखी ने कहा कि राहुल गांधी ने एक बार फिर अपने बयान के लिए न तो माफी मांगी है और न ही पश्चाताप किया है। इस मामले में मंगलवार को फिर सुनवाई होगी।
सर्वोच्च अदालत ने 15 अप्रैल को स्पष्ट रूप से कहा था कि राफेल मामले में उसके फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी चोर हैं’, जैसा कि गांधी द्वारा आरोप लगाया जा रहा है।
शीर्ष अदालत की तरफ से जारी नोटिस के जवाब में राहुल गांधी ने सोमवार को दाखिल नए हलफनामे में अपने बयान के लिए एक बार फिर खेद जताया है। इस बार भी ‘खेद’ शब्द को कोष्ठक में लिखा गया है। सोमवार को लेखी ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी ने जिस टोन और भाषा का इस्तेमाल किया है, उससे स्पष्ट है कि उन्होंने न तो माफी मांगी है और न ही उन्हें अपने बयान पर कोई पछतावा है।
23 अप्रैल को पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता मीनाक्षी लेखी के वकील मुकुल रोहतगी ने राहुल के माफी न मांगे जाने का मुद्दा उठाया था और कहा था कि राहुल ने माना है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में नहीं कहा है कि ‘चौकीदार चोर है’ और वे कोर्ट के नाम पर दिए गए अपने बयान के लिए खेद जताते हैं। खेद शब्द भी कोष्ठक में दिया गया है। इसे माफी मांगना नहीं कहा जाएगा। जब राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि कोर्ट ने नोटिस नहीं दिया था, सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा था और उन्होंने स्पष्टीकरण दिया है। तो तत्काल कोर्ट ने राहुल गांधी को अवमानना का नोटिस जारी किया था।
राहुल गांधी ने अपने नये हलफनामे में भी कमोवेश वही बातें कही हैं जो पिछले हलफनामे में कही थीं। राहुल ने फिर कहा है कि उन्होंने बयान चुनाव प्रचार के दौरान आवेश में दे दिया था। उनकी मंशा कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने या कम करने की कभी नहीं थी। कानून के जानकारों का साफ मानना है कि कोर्ट की अवमानना के मामले में माफी मांगनी ही पड़ती है। राहुल गांधी को स्पष्ट तौर पर माफी मांगनी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट के वकील डीके गर्ग कहते हैं कि खेद और माफी शब्द में अंतर होता है।
क्या है मामला
भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने अवमानना याचिका में कहा है कि राफेल मामले में आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहुल ने कोर्ट का नाम लेकर अपनी निजी राय व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री के लिए गलत बयानबाजी की। लेखी का आरोप है कि राहुल गांधी ने बयान में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि चौकीदार नरेंद्र मोदी चोर है। जबकि कोर्ट ने फैसले में ऐसी कोई बात नहीं कही है। ये कोर्ट की अवमानना है। गत 15 अप्रैल को कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उसने आदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा है जैसा कि आरोप लगाया गया है।
राफेल में पुनर्विचार याचिकाओं के जवाब के लिए केंद्र ने मांगा समय
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को पुनर्विचार याचिका पर होने वाली सुनवाई टालने का आग्रह किया और पुनर्विचार याचिकाओं का मेरिट पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय मांगा है। कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई स्थगित करने का कोई भी आदेश नहीं दिया है हालांकि केंद्र सरकार को इस बारे में लेटर सकरुलेट (यानी सुनवाई टालने का पत्र दाखिल कर सभी पक्षों को सूचित करना) करने की इजाजत दे दी है। गत 23 अप्रैल को कोर्ट ने राहुल गांधी अवमानना मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि 30 अप्रैल को अवमानना का मामला और राफेल फैसले का पुनर्विचार मांगने वाली याचिकाएं एक साथ सुनवाई के लिए लगाई जाएं। अभी तक सुप्रीम कोर्ट की मुख्य सुनवाई सूची में दोनों केस लगे हैं। हालांकि सप्लीमेन्ट्री सूची अभी जारी नहीं हुई है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं और उनके साथ लगाए गए दस्तावेजों को लेकर केंद्र की ओर से उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियां खारिज कर दी थीं और याचिकाओं की मेरिट पर सुनवाई करने का आदेश दिया था।