साभार: जागरण समाचार
जेट एयरवेज के बेरोजगार पायलटों तथा अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की रोजी-रोटी अब दूसरी विमानन कंपनियों के भरोसे है। जेट का कामकाज ठप होने से सड़क पर आ गए इसके हजारों कर्मचारियों के अलावा
यात्रियों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार ने स्पाइसजेट तथा एयर इंडिया को मोर्चे पर उतारा है। इसके तहत दोनों कंपनियां जेट एयरवेज के विमानों को लीज पर लेकर उड़ाएंगी और यात्रियों को जरूरी राहत प्रदान करेंगी।
वित्तीय संकट का सामना कर रही जेट एयरवेज की सभी उड़ाने फिलहाल बंद हैं। पिछले सप्ताह बैंकों द्वारा आपात मदद से इन्कार किए जाने के बाद जेट के प्रबंधन ने नए निवेशक की तलाश होने तक उड़ानों को पूरी तरह बंद करने का एलान कर दिया था। तभी से इसके हजारों कर्मचारी बेरोजगार हैं। कंपनी के लगभग पांच हजार कर्मचारियों ने अन्य विमानन कंपनियों में नौकरी ज्वाइन कर ली है। लेकिन करीब 17 हजार कर्मचारी अब भी जेट एयरवेज के साथ हैं और चार महीने से वेतन नहीं मिलने के बावजूद एयरलाइन के फिर उड़ान भरने का इंतजार कर रहे हैं।
इन कर्मचारियों को उम्मीद है कि 10 मई तक नए निवेशक के चयन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अवश्य कोई न कोई एयरलाइन जेट को खरीद लेगी जिससे उनके दुर्दिन खत्म हो जाएंगे। लेकिन स्थिति यह है कि जेट की अचानक बंदी से संपूर्ण भारतीय विमानन बाजार में उथल-पुथल मची हुई है और गर्मियों के इस मौसम में उड़ानों की कमी से किराये में अनाप-शनाप बढ़ोतरी हो गई है। ऐसे में यात्रियों को मुश्किलों से बचाने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को विमानन सचिव की अध्यक्षता में हुई आपात बैठक में सरकार की ओर से विमानन कंपनियों और एयरपोर्ट ऑपरेटरों को कुछ निर्देश दिए गए। इनके मुताबिक स्पाइसजेट और एयर इंडिया को जेट एयरवेज के विमानों को वेट लीज पर लेकर उड़ाने को कहा गया है। इससे एक तो यात्रियों को राहत मिलेगी, दूसरे जेट एयरवेज के कर्मचारियों को भी काम मिल जाएगा। वेट लीज ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत कोई एयरलाइन किसी दूसरी एयरलाइन के विमानों को जब किराये पर लेती है, तो उसे उन विमानों के कर्मचारियों को भी उस अवधि के लिए नौकरी पर रखनी होती है। जेट के मामले में माना जा रहा है कि यह अवधि नया निवेशक मिलने और उड़ानों की बहाली तक होगी।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार अगले दस-बारह रोज में जेट एयरवेज के 70 बड़े विमानों में से तकरीबन 45 विमान स्पाइसजेट और एयर इंडिया के बेड़े में शामिल हो सकते हैं। इनमें ज्यादातर बोइंग विमान शामिल हैं। जेट एयरवेज के बोइंग-737 विमानों को स्पाइसजेट घरेलू रूटों पर उड़ाएगी। जबकि एयर इंडिया द्वारा बोइंग-777 वॉइड बॉडी विमानों का उपयोग लंदन, दुबई और सिंगापुर जैसे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में किया जा सकता है।
आइबीसी से अलग समाधान के पक्ष में कर्जदाता: अगर जेट एयरवेज के लिए निवेशक खोजने की प्रक्रिया का कोई संतोषजनक नतीजा नहीं निकला, तो कर्जदाता बैंक चाहेंगे कि कंपनी की समस्या का समाधान आइबीसी के बाहर हो। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कर्जदाता बैंकों को इस बात का पूरा भरोसा है कि जेट एयरवेज की हिस्सेदारी बिक्री की मौजूदा प्रक्रिया का समापन सकारात्मक रहेगा। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भी वे इस मामले को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) से बाहर समाधान की कोशिश करेंगे। ऐसे में वे डेट रिकवरी टिब्यूनल (डीआरटी) का सहारा ले सकते हैं। डीआरटी में मामला जाने के बाद कंपनी की संपत्तियों की बिक्री की जाएगी, और कर्जदाताओं को समानुपात में रकम मिलेगी।