Monday, April 29, 2019

निदेशालय से फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं ले रहे प्राइवेट स्कूल: 5 मई तक दें शिकायत

साभार: जागरण समाचार  
हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ोतरी के लिए पिछले 24 सालों में एक बार भी शिक्षा निदेशालय की अनुमति नहीं ली है। राज्य के करीब साढ़े सात हजार प्राइवेट स्कूलों को हर साल शिक्षा निदेशालय में आडिट
रिपोर्ट और रिटर्न जमा करानी पड़ती है, लेकिन इन स्कूलों ने 1995 के बाद से यह आडिट रिपोर्ट सरकार को भेजी ही नहीं है। आरटीआइ के तहत शिक्षा विभाग से मिले जवाब में यह बात सामने आई है। उधर, फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन हरियाणा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि निजी स्कूल हर साल फार्म-छह भरकर दे रहे हैं, जिसमें आय व्यय का पूरा ब्योरा होता है। 
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 17 नवंबर 2018 को हरियाणा सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय में आरटीआइ के जरिए प्रदेश भर में चल रहे 7596 निजी स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट संबंधी सूचनाएं मांगी थी। शिक्षा विभाग ने आरटीआइ का कोई जवाब नहीं दिया। इस पर प्रथम अपील 31 दिसंबर को महानिदेशक के समक्ष दायर की गई। महानिदेशक ने 28 जनवरी को सूचनाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। शिक्षा निदेशालय ने 24 जनवरी 2019 को सूचना के जवाब में सिर्फ यह कहा कि सूचना उपलब्ध नहीं है। मामला राज्य सूचना आयोग तक पहुंचा तो आयोग ने हरियाणा सेकेंडरी शिक्षा विभाग की डिप्टी डायरेक्टर निरुपमा आनंद को अंतिम चेतावनी देते हुए निजी स्कूलों की आडिट रिपोर्ट संबंधी सूचनाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इस पर डिप्टी डायरेक्टर ने 29 अप्रैल तक सूचनाएं उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया।
आदेश न मानने पर 5 मई तक करें शिकायत: सूचना आयोग ने आरटीआइ कार्यकर्ता बृजपाल परमार को निर्देश दिए हैं कि अगर शिक्षा विभाग आदेशों की अनुपालना नहीं करते हैं तो 5 मई तक इस मामले की फिर से शिकायत कर सकते हैं। इस केस को री-ओपन कर शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ आरटीआइ एक्ट के उल्लंघन के तहत कार्रवाई कराई जाएगी।
हरियाणा एजुकेशन एक्ट में क्या हैं प्रावधान: हरियाणा एजुकेशन एक्ट 1995 की धारा चैप्टर 6 सेक्शन 17 आर्टिकल 5 के अनुसार सभी निजी विद्यालयों को आडिट रिपोर्ट व रिटर्न निदेशालय में जमा करानी अनिवार्य है, जिसके बाद निदेशालय यह सुनिश्चित करेगा कि निजी विद्यालय घाटे में चल रहे हैं या मुनाफे में है। इसी का आकलन करने के बाद शिक्षा निदेशालय निजी स्कूलों को बच्चों की फीस बढ़ोतरी अथवा कम करने की मंजूरी दे सकता है। मगर 1995 के बाद किसी भी निजी स्कूल ने शिक्षा निदेशालय में ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं कराई गई।
  • बृजपाल परमार को हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली की जानकारी नहीं है। शिक्षा नियमावली 2003 के तहत सभी स्कूलों को फार्म-6 भरकर देना अनिवार्य होता है, जिसमें स्कूलों की आय और व्यय का पूरा ब्योरा होता है। सभी स्कूल इस फार्म में कक्षावार वसूल की जाने वाली फीस की जानकारी भी निदेशालय को देते हैं। कई साल से यह सिलसिला चला आ रहा है। जो स्कूल फार्म-6 जमा नहीं कराते, वे अपनी फीस नहीं बढ़ा सकते। कुलभूषण शर्मा, अध्यक्ष, फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन
  • हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों और सरकार की मिलीभगत है। गरीब बच्चों की कोई सुनवाई नहीं है। उन्हें मुफ्त दाखिले देने में प्राइवेट स्कूल आनाकानी कर रहे हैं। सरकार भी ऐसे स्कूलों पर मेहरबान है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को इस बारे में चिंता करनी चाहिए। - सत्यवीर हुड्डा, संयोजक, दो जमा पांच मुद्दे जन आंदोलन