साभार: जागरण समाचार
यूपी में गोमती रिवर फ्रंट व खनन घोटाला के बाद सीबीआइ ने बसपा शासनकाल में करोड़ों के चीनी मिल घोटाले में सात नामजद आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज किया है। सीबीआइ जांच में बसपा सुप्रीमो मायावती व
तत्कालीन कई मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 अप्रैल 2018 को चीनी मिल घोटाले की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। बसपा सरकार में 21 सरकारी चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचकर करीब 1100 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। चीनी निगम की 10 संचालित व 11 बंद पड़ी चीनी मिलों को 2010-2011 में बेच दिया गया था। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने चीनी मिल बिक्री घोटाले में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में सात नवंबर 2017 को दर्ज कराई गई एफआइआर को अपने केस का आधार बनाया है। सात चीनी मिलों में हुई धांधली में सीबीआइ ने धोखाधड़ी व कंपनी अधिनियम समेत अन्य धाराओं में रेगुलर केस दर्ज किया है। जबकि 14 चीनी मिलों में हुई धांधली को लेकर छह प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की गई हैं।
उल्लेखनीय है कि बसपा सरकार के कार्यकाल में औने-पौने दामों में सरकारी चीनी मिलों को बेंचा गया था। सीबीआइ पहले से ही इस घोटाले के तार खंगाल रही थी। वहीं राज्य सरकार ने सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन आर्गनाईजेशन से मामले की जांच कराई थी।