साभार: जागरण समाचार
दिल्ली से लगते दक्षिण हरियाणा में एनसीआर के तीन लोकसभा क्षेत्रों गुड़गांव, फरीदाबाद और सोनीपत में मतदाताओं का एक जैसा मिजाज है। तीनों ही लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा से कांग्रेस का सीधा मुकाबला है। आप व
जजपा गठबंधन तथा इनेलो उम्मीदवारों के सामने तीनों सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बनाने की चुनौती है।
भाजपा प्रत्याशियों से खफा होने के बावजूद मतदाताओं के दिलो-दिमाग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम बाहर नहीं निकल रहा है। तीनों ही सीटों पर समाज के संभ्रांत लोग पूरे चुनाव को चार या पांच जातियों के बीच बांटकर किसी एक प्रत्याशी की जीत-हार के आंकड़े तैयार कर रहे हैं मगर जमीनी स्तर पर चुनाव के प्रति जागरूक सभी जातियों के लोग अपनी सRिय भूमिका निभाने को तत्पर हैं। मतदाताओं का चुनावी मिजाज कुछ इस तरह है कि न तो उनके लिए सत्तारूढ़ दल भाजपा के प्रत्याशियों से नाराजगी और न ही स्थानीय व प्रादेशिक समस्याओं, मुद्दों से कोई ज्यादा सरोकार है। ज्यादातर मतदाता देशहित में मजबूत सरकार की नींव रखने को आतुर हैं।
लालू के समधी कैप्टन को चमत्कार की आस: भाजपा प्रत्याशी व सांसद राव इंद्रजीत सिंह को इस बार अहीरवाल और मेवात में कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव चुनौती दे रहे हैं मगर गुड़गांव(गुरुग्राम) के शहरी क्षेत्र में मोदी लहर का फायदा राव के खाते में है। कैप्टन अजय यादव को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के समधी होने के कारण जरूर किसी बड़े चमत्कार की आस है, मगर अहीरवाल में राव के परंपरागत मतदाताओं में सेंध लगाना कैप्टन के लिए बड़ी चुनौती है। आप-जजपा गठबंधन के प्रत्याशी महमूद खान और इनेलो प्रत्याशी वीरेंद्र राणा भी खासे सक्रिय हैं। मेवात में मुस्लिम मतदाताओं को एकजुट करने के लिए कांग्रेस, आप-जजपा गठबंधन और इनेलो तीनों ही दलों के प्रत्याशी समान रूप से प्रयास कर रहे हैं, मगर मेवात के मुस्लिम मतदाता कांग्रेस उम्मीदवार को मजबूत मान रहे हैं। कैप्टन अजय यादव को स्थानीय कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने से लेकर प्रदेशस्तरीय नेताओं का समर्थन हासिल करने में भी सफलता मिल रही है। मेवात के मुस्लिम मतदाताओं के एकजुट होकर मतदान करने के संदेश के बाद अहीरवाल और शहरी मतदाताओं में भी खासा उत्साह दिखाई देता है।
सामाजिक ताने-बाने की तरह दिखता है राजनीतिक माहौल: दिल्ली से महज 32 किलोमीटर दूर गुरुग्राम का जिक्र हिंदू ग्रंथों में पढ़ने को मिलता है। ऐसा माना गया है कि गुरु द्रोणाचार्य ने पांचों पांडव राजकुमारों को यहीं शिक्षा दी थी। बाद में राजा युधिष्ठिर ने गुरु द्रोण को यह ग्राम उपहार स्वरूप दिया था। गुरु द्रोण के नाम बसे गुरुग्राम को चुनाव आयोग में अभी गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र के नाम से ही मान्यता है। मेवात के तीन क्षेत्र फिरोजपुर ङिारका, नूंह और पुन्हाना मेव बाहुल्य हैं, जबकि गुरुग्राम और बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्रों बाहर से आए हुए मतदाताओं की संख्या अधिक है। पटौदी, रेवाड़ी और बावल विधानसभा क्षेत्र में अहीर मतदाताओं की संख्या अधिक है। सोहना क्षेत्र में गुर्जर, मेव, राजपूत और अहीर मतदाता हैं। 2009 और 2014 का चुनाव यहां मेवात के तीन क्षेत्र बनाम अहीरवाल व शहरी मतदाताओं के छह क्षेत्र का रहा है। यही माहौल इस बार दिख रहा है।
मोदी फेक्टर में भाजपा प्रत्याशी से नाराज होकर भी चुप है फरीदाबाद का मतदाता: यहां इस बार भी 2014 की तरह पुराने दिग्गजों के बीच आमने-सामने का चुनाव है। भाजपा से सांसद कृष्णपाल गुर्जर तो कांग्रेस से अवतार भड़ाना प्रत्याशी हैं। जबकि आप और जजपा उम्मीदवार नवीन जयहिंद ने अपने प्रचार के पहले ही दिन भाजपा-कांग्रेस के गुर्जर प्रत्याशियों के सामने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए मुकाबला त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया है। इनेलो के महेंद्र चौहान और बसपा के मनधीर मान अपने दलों की उपस्थिति बनाए हुए हैं। पलवल में ग्रामीण मतदाताओं का बोलबाला है और फरीदाबाद में शहरी मतदाताओं की संख्या अधिक है। शहरी मतदाता यूं तो पूरी भाजपा और कांग्रेस में बंटे हैं मगर यहां आप-जजपा गठबंधन भी मतदाताओं में सेंध लगा रहा है। भाजपा प्रत्याशी कृष्णपाल गुर्जर से पलवल क्षेत्र के जाट मतदाताओं में कुछ नाराजगी अवश्य देखने को मिलती है मगर युवा वर्ग मोदी फेक्टर को लेकर भाजपा के साथ खड़ा दिखाई देता है। फरीदाबाद के मतदाता भी मोदी फेक्टर को लेकर ही चर्चा करते हैं। देशहित में मजबूत सरकार बनाने के लक्ष्य को साधने के लिए मतदाता किसी प्रत्याशी के नाम की चर्चा करना ज्यादा उपयुक्त नहीं समझते। फिलहाल इस सीट पर कृष्णपाल गुर्जर के सामने अपने पिछले जीत के अंतर 4.67 लाख के रिकॉर्ड को तोड़ने की तो कांग्रेस के अवतार भड़ाना के सामने अपनी पिछली हार का बदला लेने की बड़ी चुनौती है। नवीन जयहिंद को ब्राह्मण मतदाताओं के अलावा आप नेता अरविंद केजरीवाल की बदौलत वैश्य व पूवार्ंचल और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला के प्रभाव के जाट और मुस्लिम मतदाताओं से काफी आस है।
जाट और गैर जाट के बीच खिंच रही है चुनावी लकीर: सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आने से यहां का चुनाव काफी रोचक हो गया है। भाजपा से सांसद रमेश कौशिक एक बार फिर प्रत्याशी हैं। मगर आप व जजपा से दिग्विजय सिंह चौटाला मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। इनेलो के सुरेंद्र छिकारा भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। क्षेत्र में छह विधानसभा सोनीपत की और तीन जींद की हैं। शहर से देहात तक जाट आरक्षण आंदोलन की आग की लपटें इस चुनाव को भी सेंक रही हैं। यही कारण है कि चुनावी माहौल भी जाट और गैर जाट के बीच बंटा हुआ है। गैर जाट मतदाता भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक से नाराजगी के बावजूद मोदी के नाम पर एकजुट है। बहुसंख्यक जाट मतदाताओं से लेकर साढ़े नौ साल मुख्यमंत्री रहते हुए कराए विकास के बूते भूपेंद्र हुड्डा की नजर गैर जाट मतदाताओं पर भी है। दिग्विजय चौटाला युवा मतदाताओं के बूते चुनाव मैदान में धीरे-धीरे सRिय हो रहे हैं। उन्हें आप नेता अरविंद केजरीवाल की वजह से वैश्य और पूवार्ंचल के मतदाताओं से उम्मीद है। जींद उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला को पछाड़ने वाले दिग्विजय चौटाला के हौंसले बुलंद हैं। इनेलो के सुरेंद्र छिकारा और दिग्विजय की जाट मतदाताओं में सRियता से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की स्थिति असहज है मगर वे इस चुनाव में सबसे बड़े खिलाड़ी दिख रहे हैं। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र के नौ विधानसभा क्षेत्रों में से जींद, जुलाना,सफींदो, गोहाना,सोनीपत और गन्नौर के शहरी मतदाता जाट आरक्षण को चुनाव का बड़ा मुद्दा मानते हैं। इसी मुद्दे पर एकजुट मतदाता अपनी राय बना रहे हैं।