साभार: जागरण समाचार
साध्वी के साथ दुष्कर्म के सूरत की कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए नारायण साईं को सलाखों तक पहुंचाने में पानीपत जिले के सनौली खुर्द के महेंद्र चावला की बड़ी भूमिका रही। कभी नारायण साईं के पीए रहे महेंद्र इस
केस में मुख्य गवाह थे। उन्हें गवाही से दूर रखने के लिए कई प्रयास किए गए। यहां तक कि उन पर गोलियां भी चलवाई गईं, लेकिन महेंद्र नहीं डिगे।
महेंद्र चावला ने शुक्रवार को दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि वह आसाराम के बेटे नारायाण साईं के पीए थे। सूरत स्थित संत श्री आसाराम आश्रम में सिक्योरिटी गार्ड हनुमान एक साध्वी को बुलाकर नारायण साईं के पास ले गया था। साईं ने साध्वी के साथ दुष्कर्म किया। इस घटना के बाद उसकी आसाराम और नारायण साईं के प्रति जो आस्था थी वह टूट गई। उसने दोनों को उनके कुकृत्यों की सजा दिलाने की ठानी और केस में मुख्य गवाह बन गए। हालांकि, उन्हें गवाही देने से रोकने के लिए 13 मई 2015 में घर में घुसकर दो बदमाशों ने गोलियां बरसाईं। एक गोली उन्हें लगी, लेकिन वह छत से कूद गए और उनकी जान बच गई। इस हमले के बाद भी वह विचलित नहीं हुए और मार्च 2016 में नारायण साईं के खिलाफ कोर्ट में गवाही दी।
आसाराम से प्रभावित होकर छोड़ दिया था घर: महेंद्र चावला ने बताया कि 1996 में उन्होंने पानीपत में आसाराम का प्रवचन सुना और उनसे प्रभावित होकर घर छोड़ दिया। शादी भी नहीं की। आसाराम के आश्रम में रहने लगे। आसाराम और नारायण साईं के कुकृत्यों का पता चलने पर 2005 में आश्रम छोड़ दिया था।
आसाराम को हो चुकी है सजा: महेंद्र चावला ने बताया कि जोधपुर में किशोरी से दुष्कर्म मामले में उसने आसाराम के खिलाफ भी गवाही दी थी। गवाही से रोकने के लिए उन्हें कई बार डराया गया। करोड़ों रुपये का प्रलोभन भी दिया गया। वह नहीं माने और उन्होंने गवाही दी। दुष्कर्म केस में 24 अप्रैल 2018 में आसाराम को सजा हो चुकी है।
पुलिस के पहरे में चावला, खतरा बरकरार: जानलेवा हमले के बाद से महेंद्र चावला को पुलिस सिक्योरिटी मिली हुई है। हालांकि, वह इस सुरक्षा व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज कराए जा रहे हैं। साजिश के तहत ही गत दिनों एक पुलिसकर्मी ने उनके मकान का ताला तोड़कर सामान चोरी कर लिया था।