Monday, April 22, 2019

ग्राउंड रिपोर्ट: भिवानी में मुद्दों पर कम, चेहरों पर लगेगी विश्वास की मुहर

साभार: जागरण समाचार 
भिवानी - महेंद्रगढ़ सीट कब बड़े चेहरे को पटखनी दे दे, वोटर के इस मिजाज को नेता भी नहीं समझ पाए। लालों के परिवार के इर्द गिर्द यहां की राजनीति घूमती रही है। तीनों लालों के पुत्र यहां से चुनाव भी जीते हैं। तीनों को ही
यहां जीत का आशीर्वाद मिला। यह अलग बात है कि जो भिवानी को गढ़ मानते उनका परिवार भी यहां चुनाव हार गया। यहां का चुनावी माहौल अभी खेतों में कार्य होने के चलते अधिक चहल पहल वाला नहीं है। ट्रेन से सफर करते वक्त खेतों में तो किसान दिख रहे हैं लेकिन नेताओं का काफिला कहीं नजर नहीं आया। भिवानी रेलवे स्टेशन के बाहर जरूर श्रृति चौधरी को जीतवाने की अपील लाऊड स्पीकर लगी गाड़ी में सुनाई दी, जो उस क्षेत्र से गुजरी थी।
रेलवे स्टेशन पर कुछ लोग बैठे चाय पी रहे थे, लेकिन इनकी चर्चा फसलबाड़ी पर थी। अच्छी फसल की उम्मीद जता रहे थे। चर्चा खेत से गांवों में बिजली आपूर्ति और सड़कों के हालात पर आई। इसके बाद चर्चा वोट पर केंद्रित हो गई। प्राइवेट नौकरी से जुड़े गोवर्धन ने कहा कि इस बार तो जीएसटी ने व्यापार ही ठप कर दिया। बोले, जिस दुकान में तीन से चार व्यक्ति काम करते थे, वहां अब एक रह गया है। साथ खड़े दूसरे लोग व्यापार की चर्चा की बजाय भिवानी सीट पर हार जीत का कयास लगाने लगते हैं। बवानीखेड़ा जाने के लिए इंतजार में खड़े सुरेश कुमार ने कहा कि असली चुनाव तो भिवानी में है। पता नहीं कौन किसे हरा दे, यहां तो चौधरी देवीलाल और बंसी लाल भी हवा का रूख नहीं समझ पाए। यहीं पर उपस्थित दलबीर ने कहा सही बात है, खुद बंसी लाल चंद्रावती से चुनाव हार गए थे और तोशाम में धर्मवीर ने हरा दिया था। कैलाश चंद्र भी बोले कुछ नहीं पता लोगों का, सिरसा से आए अजय सिंह चौटाला ने भिवानी में बंसी लाल का गढ़ ढहा दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि जब लोग साथ देते हैं तो ऐसा देते हैं कि अगले पिछले सब भूल जाते हैं। कुलदीप बिश्नोई का ही चुनाव ले लो, हिसार में उनके परिवार का वजूद रहा और जीता भिवानी वालों ने दिया। इसी चर्चा को सुनकर कुछ और लोग इकट्ठे होते हैं। उन्हीं में से एक राम सिंह का मत था कि भिवानी की किस्मत तो बंसी लाल से जुड़ी रही। भिवानी का नेता तो वही रहा, लेकिन अब परिवार की राजनीति उलझ रही है। एक बुजुर्ग ने कहा कि हमारे टाइम में तो बंसी लाल का डंका बजता था। अफसरशाही तो कांपती थी। आंख उठा ले तो अफसर के पसीना आए, पर अब चलती ही अफसरों की है।
असली लड़ाई चौधर की: स्टेश्न पर बैठे बुजुर्ग दरिया सिंह ने कहा कि कोई जीतो कोई हारे, भिवानी का नाम आते ही बंसी लाल का चेहरा याद आएगा। भिवानी को पहचान तो बंसी लाल से रही है। उनका यह भी कहना था कि बिजली, पानी और सड़क सब काम बंसीलाल ने कराया। इस बार असली चौधर की लड़ाई सै, ना धर्मवीर कम, ना सुरेंद्र का परिवार।
इस बार मुकाबला फंसेगा: स्टेशन के बाहर चाय की दुकान पर भी कई लोग खड़े हैं और यहां चर्चा भी चुनाव की है। बातचीत से लग रहा था कि सब एक दूसरे से परिचित है। यहीं पर उपस्थित भिवानी के अजय ने कहा कि धर्मवीर तो महारथी रहा है। कब पासा पलट दे, किसी को नहीं पता। कांग्रेस और इनेलो समर्थक भी नजर आए, बोले इस बार मुकाबला फंसेगा।
वोट वहीं देंगे, जहां देते आए हैं: फिर से स्टेशन की ओर रुख किया तो परिसर में ताश खेल रहे राममेहर ने बताया कि वे तो दादरी से है। इस सरकार ने भी काम किये है, पहले भी काम हुए हैं। पर वोट तो वहीं देंगे जहां हमारे बुजुर्ग देते आए है। साथ बैठे राजेंद्र ने कहा कि नेता किसी के बोरे नहीं उतारते। कमा कर खाना है। चर्चा मोदी, राहुल और दुष्यंत जरूर हैं।