साभार: जागरण समाचार
चार न्यायाधीशों की प्रेस कांफ्रेंस के बाद न्यायपालिका में एक बार फिर अभूतपूर्व तूफान उठा है। सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) जस्टिस रंजन गोगोई पर कथित तौर पर अमर्यादित
आचरण का आरोप लगाया है। कुछ ऑनलाइन मीडिया में आई ऐसी खबरों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को छुट्टी वाले दिन आननफानन में सुनवाई की। घटना से दुखी और क्षुब्ध प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘यह अविश्वसनीय है और ऐसे आरोपों को नकारने के लिए जितना गिरना पड़ेगा, वह नहीं गिर सकते। प्रधान न्यायाधीश को 20 साल के बाद यह इनाम मिला है। उनके खाते में मात्र 6,80,000 की रकम है। जब वे मुङो पैसे में नहीं पकड़ पाए तो यह ले आए। कोई समझदार व्यक्ति जज क्यों बनना चाहता है? हमारे पास प्रतिष्ठा होती है और आज उसी पर हमला हो रहा है। यह बड़ी साजिश है। बड़ी ताकत प्रधान न्यायाधीश के दफ्तर को निष्क्रिय करना चाहती है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता गंभीर खतरे में है।’
शनिवार सुबह करीब 10.15 बजे सुप्रीम कोर्ट का नोटिस निकला जिसमें कहा गया कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ 10.30 बजे जनहित से जुड़े महत्वपूर्ण और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले मुद्दे पर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के तत्काल सुनवाई के आग्रह को स्वीकार करते हुए की। करीब आधे घंटे चली सुनवाई के बाद जस्टिस गोगोई ने आदेश पारित करने से स्वयं को अलग कर लिया, इसलिए पीठ में तीन न्यायाधीश शामिल होने के बावजूद आदेश सिर्फ दो न्यायाधीशों के हस्ताक्षर से जारी हुआ।
आरोप लगाने वाली महिला का आपराधिक रिकॉर्ड: मामले पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी के आपराधिक रिकॉर्ड और उसके खिलाफ दर्ज मामलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि महिला के खिलाफ पहले से दो एफआइआर थीं। कोई आपराधिक रिकॉर्ड का व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट का कर्मचारी कैसे बन सकता है। उसके पति के खिलाफ भी आपराधिक मामले दर्ज हैं। पीठ ने कहा कि न्यायपालिका बलि का बकरा नहीं हो सकती। मालूम हो कि आरोप लगाने वाली महिला पर धोखाधड़ी का भी मामला लंबित है जिसमें वह जमानत पर है। उसके खिलाफ शिकायतकर्ता ने निचली अदालत में जमानत रद करने की अर्जी दे रखी है। इसके अलावा नौकरी में लापरवाही और अन्य आरोपों पर महिला कर्मचारी को विभागीय जांच के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था।
अगले हफ्ते करेंगे कई संवेदनशील मामलों की सुनवाई: सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने संकेत दिया कि शायद यह मामला इसलिए उठा है क्योंकि वह अगले सप्ताह कई संवेदनशील मामलों की सुनवाई करने वाले हैं। हालांकि उन्होंने उन मामलों का जिक्र नहीं किया।