साभार: जागरण समाचार
भारत में पुलवामा समेत कई आतंकी हमलों के
जिम्मेदार पाकिस्तानी आतंकी व जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर पर चीन ने चौथी बार वीटो कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पाबंदी नहीं लगने दी। चीन के इस कदम से नाराज सुरक्षा परिषद के अन्य जिम्मेदार सदस्य देशों ने चीन को चेतावनी दी है कि यदि वह नहीं माना तो वे दूसरे तरीके अपनाने को मजबूर होंगे। इधर भारत में इस मसले पर भद्दी सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज करते हुए कहा कि मोदी कमजोर पीएम, वे डरते हैं इसलिए ताकतवर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने इस मुद्दे पर मौन हैं। भाजपा ने राहुल पर पलटवार कर कहा कि देश की पीड़ा के वक्त में राहुल गांधी खुशी क्यों मनाते हैं?'
इसलिए चीन निशाने पर: पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद होने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन व फ्रांस ने 27 फरवरी को सुरक्षा परिषद में इस हमले के जिम्मेदार जैश के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पर परिषद के 10 अस्थाई व चार अन्य स्थाई सदस्य सहमत थे, लेकिन चीन ने 13 मार्च को इस पर अंतिम विचार-विमर्श के दौरान वीटो कर तकनीकी अड़ंगा डाल दिया। इससे बाकी सदस्य देश चीन से खफा हो गए हैं। भारत ने भी चीन के रुख पर निराशा जताते हुए कहा कि वह भारतीयों पर हमले के जिम्मेदार आतंकियों को न्याय के दायरे में जाने के अन्य विकल्पों पर काम करेगा।
चीन को असामान्य चेतावनी: सुरक्षा परिषद के एक राजनयिक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि यदि चीन मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में इसी तरह अड़ेंगे डालता रहा तो जिम्मेदार अन्य सदस्य देशों को मजबूर होकर सुरक्षा परिषद में दूसरे कदम उठाना पड़ेंगे। ऐसी स्थिति नहीं बनने देना चाहिए। मसूद अजहर के गुट जैश-ए-मोहम्मद को संयुक्त राष्ट्र पहले ही अलकायदा से जुड़ा मानता है। सुरक्षा परिषषद के किसी राजनयिक की चीन को यह असामान्य कड़ी चेतावनी है।
वैश्विक आतंकी के मानक पर फिट है मसूद - अमेरिका: अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप-प्रवक्ता रॉबर्ट पैल्लाडिनो ने कहा कि मसूद अजहर, संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के सारे मानकों पर फिट बैठता है। चीन व अमेरिका के क्षेत्रीय स्थिरता व शांति में साझा हित हैं, लेकिन मसूद मामले से इस लक्ष्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इधर नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने भी चीन की परोक्ष आलोचना करते हुए इसी तरह की राय व्यक्त की। आतंक के खिलाफ कार्रवाई में भारत के साथ है अमेरिका उधर भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर (एनएसए) जॉन बोल्टन से मुलाकात की। इस दौरान बोल्टन व गोखले ने पाकिस्तान को साफ शब्दों कहा कि वह अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकियों व उनके कैंपों के खिलफ टिकाऊ व स्थायी कार्रवाई करे, ताकि वे सीमा पार हमले ना कर सकें। बोल्टन ने कहा कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका भारत के साथ है।
तकनीकी रोक से अंतिम हल निकालने में मदद होगी - चीन: चीन ने मसूद मामले में चौथी बार वीटो करने के अपने फैसले का बचाव किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने बीजिंग में कहा कि चौथी बार प्रस्ताव पर 'तकनीकी रोक' लगाने से केस के विस्तार से परीक्षण में मदद मिलेगी और संबंधित पक्ष मसले का सभी को स्वीकार्य अंतिम हल निकालने के लिए और बातचीत कर सकेंगे। यह पूछने पर चीन क्यों बार-बार अड़ंगे डाल रहा है? कांग ने कहा कि यह फैसला प्रतिबंध समिति के नियमों पर आधारित है। चीन गंभीरतापूर्वक उम्मीद करता है कि क्षेत्रीय स्थिरता व शांति से जुड़े मसलों को और जटिल बनाने की बजाए संबंधित पक्ष उस पर विचार-विमर्श कर हल निकालें।
राहुल का ट्वीट, जिनपिंग से डरे हुए हैं मोदी: कमजोर मोदी शी जिनपिंग से डरे हुए हैं। जब चीन भारत के खिलाफ कदम उठाता है तो उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता है। उन्होंने इस मामले में चीन से बात तक नहीं की।
बकौल राहुल 'नमो चाइना डिप्लामेसी :
1. गुजरात में शी के साथ झूला झूलना
2. दिल्ली में गले लगाना
3. चीन में घुटने टेकना।
राहुल के चीन से अच्छे संबंध समझाते क्यों नहीं - भाजपा: राहुल के ट्वीट से भाजपा भड़की उठी। पार्टी प्रवक्ता व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि जब भी भारत को पीड़ा होती है तो राहुल गांधी को खुशी क्यों होती है? राजनीति में विरोध होना चाहिए, लेकिन आतंकवाद के मसले पर इस तरह का रवैया? आखिर राहुल गांधी को हो क्या गया है? 2009 में संप्रग सरकार ने मसूद अजहर पर बैन लगवाने के प्रयास किए थे, तब भी चीन ने यही रवैया अपनाया था तब राहुल गांधी ने ट्वीट क्यों नहीं किया था। राहुल गांधी के तो चीन से अच्छे संबंध हैं। डोकलाम मुद्दे पर वह चीनी दूत से मुलाकात करते हैं। इसलिए मसूद अजहर के मुद्दे पर वह अपने संबंधों का प्रयोग कर चीन को क्यों नहीं समझाते? विदेश नीति एक संवेदनशील विषय है, यह ट्विटर से तय नहीं होती।'
नेहरू असली गुनहगार - जेटली: वित्त मंत्री अरण जेटली ने राहुल द्वारा पीएम मोदी को कमजोर कहने पर कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू असली गुनहगार हैं। उन्होंने चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का समर्थन किया था। जेटली ने कहा कि कश्मीर व चीन दोनों मामलों में मूल गलती एक ही व्यक्ति की है। जेटली ने अपने आरोप के समर्थन में नेहरू द्वारा 2 अगस्त 1955 को मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र का भी उल्लेख किया। उन्होंने राहुल पर तंज करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष यह क्यों नहीं बताते कि असली गुनहगार कौन है?