साभार: जागरण समाचार
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वैश्विक आतंकी घोषित होने की स्थिति में: इसको समझने के लिए पहले ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित करने पर क्या होता। आपको बता दें कि किसी को भी वैश्विक आंतकी घोषित करने के बाद उसकी सभी संपत्ति जब्त हो जाती है। उसको विदेश जाने की इजाजत नहीं होती है। वैश्विक तौर पर उस आतंकी पर कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान पर दबाव होता है। लेकिन इन सभी के बीच यहां पर ये भी बता दें कि कुछ ही दिन पहले यह खबर आई थी कि पाकिस्तान ने आतंकियों पर कोई कार्रवाई आज तक नहीं की है। इस खबर के बाद उसका काला-चिट्ठा पूरी दुनिया के सामने आ गया था।
यह बात इसलिए खास हो जाती है क्योंकि यदि मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कर भी दिया जाता है तो उसके खिलाफ पाकिस्तान कोई कार्रवाई करेगा इसपर बड़ा सवालिया निशान बना हुआ है। क्योंकि विश्व के सभी बड़े देशों के दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने आजतक कोई कार्रवाई नहीं की है। इतना ही नहीं पाकिस्तान पहले ही यह साफ कर चुका है कि वह न तो मसूद को और न ही सईद को गिरफ्तार करेगा। वह इन दोनों के खिलाफ दिए गए भारतीय सुबूतों को भी आजतक झूठ का पुलिंदा बताता आया है। ऐसे में सवाल जस का तस है कि आखिर ऐसे में इन्हें वैश्विक आतंकी घोषित करने से क्या होगा जबकि पाकिस्तान उसको अपनी छत्रछाया में पूरी हिफाजत के साथ पनाह दिए हुए है।
वैश्विक आतंकी घोषित करने से कुछ नहीं होगा: इस बाबत दैनिक जागरण से पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल राज काद्यान और पूर्व मेजर जनरल एजेबी जैनी ने बात करते हुए साफ कर दिया कि यूएनएससी में मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने भर से कुछ हाथ नहीं लगने वाला है। राज काद्यान मानते हैं कि इस मुद्दे पर मिली विफलता को भारत की हार के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। वह मानते हैं कि दरअसल, यह कोई ऐसा मुद्दा है ही नहीं जिसको हम अपनी विफलता मान लें। लेकिन यदि पाकिस्तान इसको अपनी जीत मानकर खुश होना चाहे तो वह इस गलतफहमी का शिकार हो सकता है। उनका कहना है कि यदि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कर भी दिया जाएगा तो भी जमीन पर कुछ बदलने वाला नहीं है। उसकी कारसतानियां बादस्तूर जारी रहेंगी। उनके मुताबिक इसका सीधा सा उदाहरण हाफिज सईद का दिया जा सकता है। वह भी संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है। इसके बाद भी न तो उसके नापाक इरादे बदले हैं और न ही पाकिस्तान ने उसके खिलाफ कोई कार्रवाई ही की है। ऐसे में मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के मंसूबे पर जोर देना जरूरी नहीं है। इससे कुछ नहीं होने वाला है।
एफएटीएफ में लगाना होगा पूरा जोर: लेफ्टिनेंट जनरल काद्यान मानते हैं कि भारत का जोर इस बात पर होना चाहिए कि मई में होने वाली एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया जा सके। एफएटीएफ में यदि भारत ऐसा करने में सफल हो जाता है तो वह बड़ी जीत होगी। यह जीत एक आतंकी को प्रतिबंधित कराने से बड़ी होगी। ऐसा होने पर पाकिस्तान में होने वाला निवेश रुक जाएगा और पाकिस्तान पूरी तरह से आर्थिक रूप से टूट जाएगा। इसके अलावा वह यह भी मानते हैं कि पाकिस्तान में बैठा मसूद और सईद वहां की सत्ता को सही मायने में तय करते हैं। जहां तक वहां की सरकार की बात है तो वह केवल दिखावे के लिए ही है। पूरी दुनिया इस बात को बखूबी जानती है कि पाकिस्तान में इमरान खान को वहां की सेना ने आतंकियों से गठजोड़ के बाद बिठाया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है पाकिस्तान में यह हमेशा से ही होता आया है।
वीटो पावर पर हो दोबारा विचार: चीन के मुद्दे पर काद्यान और जैनी की राय पूरी तरह से समान हैं। काद्यान मानते हैं कि चीन बार-बार वीटो लगाकर भारतीय मुहिम को विफल करता रहा है। ऐसे में जरूरी है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद उस वीटो पावर पर दोबारा विचार करे। क्योंकि जिस वक्त चीन समेत पांच देशों को इस तरह की ताकत दी गई थी उस वक्त हालात दूसरे थे और आज ये पूरी तरह से बदल चुके हैं। वहीं मेजर जनरल जैनी का कहना है कि चीन कभी भी इस मुद्दे पर भारत का साथ नहीं देने वाला है। यह पहले से ही साफ है। उनके मुताबिक इसके पीछे उसके अपने हित जुड़े हैं। दोनों रक्षा विशेषज्ञ इस बात पर एक राय हैं कि चीन ने पाकिस्तान में खरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है। सीपैक पर हजारों चीनी लोग और जवान पाकिस्तान में मौजूद हैं। यदि चीन मसूद अजहर पर कार्रवाई में भारत का साथ देता है तो उसके नागरिकों और उसके जवानों की जान खतरे में पड़ सकती है। यही वजह है कि वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे उसको मुसीबत का सामना करना पड़े और उसका निवेश खतरे में पड़ जाए। जैनी का ये भी कहना है कि यूएनएससी में जाने से पहले भारत को चाहिए कि वह कम से कम अपनी संसद में तो सभी सदस्यों के साथ मिलकर उसको वैश्विक आतंकी घोषित करे।