साभार: जागरण समाचार
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की अंतर्कलह चरम पर है। पार्टी द्वारा हरियाणा के लिए समन्वय समिति (को-ऑडिनेशन कमेटी) बनाने और इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थकों के दबदबे के कारण पार्टी में
घमासान मच गया। हालांकि बाद मेें इस कमेटी को वापस ले लिया, लेकिन पार्टी में खींचतान अब भी नहीं थमा है। अब पार्टी के प्रदेश प्रधान डॉ. अशोक तंवर नई रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।
को-ऑडिनेशन कमेटी की घोषणा से परेशान हो गए हु्ड्डा विरोधी नेता: हरियाणा में कांग्रेस पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अशोक तंवर, राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला, विधायक दल की नेता किरण चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा सहित विधायक कुलदीप बिश्नोई के गुटों में बंटी हुई है। इसके बावजूद आलाकमान ने शुक्रवार पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में समन्वय समिति का गठन किया था, मगर अन्य नेताओं की नाराजगी के कारण इसे दो घंटे में ही रद कर दिया। मौजूदा परिस्थितियों में हुड्डा विरोधी नेता इस बात को लेकर परेशान हैं कि आलाकमान ने समन्वय समिति बनाने की हरी झंडी कैसे दे दी।
अशोक तंवर और कुलदीप बिश्नोई अब रणदीप सुरजेवाला के साथ मिलकर खेल सकते हैं बड़ा दाव: माना जा रहा है कि समन्वय समिति की नींव पिछले सप्ताह हुड्डा और राहुल गांधी की मुलाकात में रख दी गई थी। सूत्र तो यह बताते हैं कि इस मुलाकात में राहुल गांधी ने हुड्डा को पूरा प्रदेश संभालने की जिम्मेदारी देने का आश्वासन दिया था। बाद में प्रदेश प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद ने आलाकमान को समन्वय समिति का फार्मूला दिया।
फिलहाल राज्य कांग्रेस के नेताओं की आपसी खींचतान काफी बढ़ गई है। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि जींद उपचुनाव के बाद दो जिस्म एक जान हुए रणदीप सुरजेवाला और डॉ.अशोक तंवर अपने साथ विधायक कुलदीप बिश्नोई को मिलाकर कोई बड़ा दाव खेल सकते हैं।
भाजपा को लगातार मिल रही हैं सुकून भरी सूचनाएं: पूर्व सीएम हुड्डा को कांग्रेस समन्वय समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद राज्य भाजपा के नेताओं ने भी इसका विश्लेषण करना शुरू कर दिया। हालांकि दो घंटे बाद जब यह सूचना भाजपा नेताओं के पास आई कि समन्वय समिति रद हो गई है तो सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने इसकी खुशी भी जताई। असल में पांच नगर निगम में मेयर के चुनाव से लेकर जींद उपचुनाव और अब लोकसभा चुनाव की तारीख तय होने के बाद भी लगातार भाजपा को सुकून भरी सूचनाएं मिल रही हैं।
समन्वय समिति बनाने और फिर रद करने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा: राज्य के कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने के लिए बनाई गई समन्वय समिति को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में भी निराशा है। कार्यकर्ता निचले स्तर पर अपने नेताओं से सवाल कर रहे हैं मगर इस बाबत उनके नेताओं के पास भी कोई जवाब नहीं है। कार्यकर्ताओं ने तो अपने नेताओं से यहां तक सवाल पूछे कि क्या अब कांग्रेस में रहना उपयुक्त है।