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साभार: जागरण समाचार
गंभीर, अनुशासनप्रिय, मितभाषी जस्टिस रंजन गोगोई न्यायपालिका के नये मुखिया होंगे। वह बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। व्यवस्थित रहना और सारी चीजें करीने से रखना पसंद करने वाले
जस्टिस गोगोई से देश और न्यायपालिका को काफी उम्मीदें हैं। अदालतों में लगा करोड़ों मुकदमों का ढेर और न्यायाधीशों के खाली पड़े पद जस्टिस गोगोई के लिए एक बड़ी चुनौती होंगे। हालांकि उन्होंने पद संभालने से पहले ही एक बयान में इस ओर चिंता जताते हुए मुकदमों का बोझ खत्म करने के लिए कारगर योजना लागू किये जाने का संकेत दिया है जो कि न्यायपालिका के उज्ज्वल और सकारात्मक भविष्य की ओर इशारा करता है।
जस्टिस गोगोई बुधवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के साथ मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मुकदमों की सुनवाई करने बैठेंगे। पहले दिन भले ही उनकी अदालत में सुनवाई के लिए कम मुकदमे लगे हों लेकिन देश भर की अदालतों में लंबित 2.77 करोड़ मुकदमे नये मुखिया की नई योजना का इंतजार उनके शपथ लेते ही शुरू कर देंगे। इन मुकदमों में 13.97 लाख मुकदमे वरिष्ठ नागरिकों के हैं और 28.48 लाख मुकदमे महिलाओं ने दाखिल कर रखे हैं। इतना ही नहीं उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मे लंबित 54000 मुकदमे भी अपने मुखिया की नई कार्यप्रणाली और शीघ्र मुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
जस्टिस गोगोई का मुख्य न्यायाधीश के तौर पर करीब 14 महीने का कार्यकाल है। वह 17 नवंबर 2019 तक इस पद पर रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के कुल 31 मंजूर पद हैं जिसमें से अभी 25 न्यायाधीश काम कर रहे हैं। जस्टिस दीपक मिश्र के सेवानिवृत होने के बाद यह संख्या घट कर 24 रह जाएगी। जस्टिस गोगोई के कार्यकाल में पांच और न्यायाधीश सेवानिवृत होंगे और सुप्रीम कोर्ट की कुल रिक्तियां 11 हो जाएंगी। उच्च न्यायालयों में भी जजों के 427 पद रिक्त हैं। जस्टिस गोगोई के कुछ फैसलों पर निगाह डालें तो उन्होंने उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास देने का नियम रद कर दिया था और सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था।