Wednesday, October 24, 2018

HR Strike: रोहतक और फतेहाबाद के जीएम बदले, छह और चालक बर्खास्त

साभार: जागरण समाचार 
आठ दिन से चल रही रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल पर सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए मंगलवार को रोहतक और फतेहाबाद के रोडवेज महाप्रबंधकों को चलता कर दिया, वहीं प्रोबेशन पर चल रहे छह और चालकों
को बर्खास्त कर दिया। इस बीच सरकार ने रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी पदाधिकारियों को फिर से वार्ता के लिए बुलाया है। बुधवार शाम चार बजे हरियाणा निवास में परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार कर्मचारी नेताओं को मनाने की कोशिश करेंगे। उधर, सहकारी बस मालिकों ने भी पूर्व घोषित हड़ताल से पलटी मारते हुए रोजमर्रा की तरह बसें चलाईं। 
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक बार फिर साफ किया कि किलोमीटर स्कीम के तहत 720 बसों का संचालन होकर रहेगा और पॉलिसी निर्माण में कर्मचारी हस्तक्षेप नहीं कर सकते। सरकार की सख्ती के बाद एक सप्ताह से वर्कशॉप में खड़ी बसें अब सड़कों पर उतरने लगी हैं। मंगलवार को अनुबंध आधार पर ताबड़तोड़ चालक-परिचालकों की भर्तियां हुईं जिसके बाद करीब डेढ़ हजार सरकारी बसें सड़कों पर उतारी गईं। हड़ताली कर्मचारियों के साथ ही ढीले अफसरों पर सख्त हुई सरकार ने सोमवार को जहां परिवहन महानिदेशक सहित जींद और करनाल के महाप्रबंधकों को हटाया था। वहीं मंगलवार को रोहतक के जीएम राहुल जैन को मुख्यालय तलब करते हुए उनकी जगह हिसार जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास यादव को कमान सौंप दी गई। इसी तरह सिरसा के सिटी मजिस्ट्रेट शंभू को राहुल मित्तल की जगह फतेहाबाद का नया रोडवेज महाप्रबंधक लगाया गया है। 
अभी तक 300 चालकों की हो चुकी छुट्टी: प्रोबेशन पीरियड पर चल रहे 1547 चालकों में से 47 चालकों सहित अभी तक कुल 300 चालकों को बर्खास्त किया जा चुका। सख्ती से सहमे प्रोबेशन पर तैनात कर्मचारी अब ड्यूटी पर लौटने लगे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग श्रेणी के 174 चालकों ने भी ज्वाइनिंग लेटर मिलते ही बसों के स्टेयरिंग संभाल लिए। नतीजतन मंगलवार को रोडवेज की 1464 बसें सड़कों पर उतरीं। शाम तक स्कूलों की 279 और सहकारी समितियों की 1059 बसों सहित कुल 2802 बसें सड़कों पर दौड़ीं जिससे लोगों को काफी हद तक राहत मिली।
हद पार न करें कर्मचारी: परिवहन सेवाओं को पटरी पर लाने की कोशिश में लगे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कर्मचारियों को अपनी हद में रहने की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि यूनियनें कर्मचारियों की प्रतिनिधि हो सकती हैं, लेकिन सरकार जनता की प्रतिनिधि है। जनता को सुविधाएं देना हमारा काम है। सरकार क्या कर रही है और क्या नीति बना रही है, इसमें कर्मचारियों को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने भी कहा है कि सरकार कोई भी नीति बना सकती है। कर्मचारियों ने तो हाई कोर्ट में भी शपथपत्र दिया है कि वे सरकार की पॉलिसी का विरोध नहीं करेंगे।