Friday, October 26, 2018

Aircel-Maxis डील घोटाले में ईडी ने दाखिल की चार्जशीट, चिदंबरम आरोपित नंबर-1

साभार: जागरण समाचार 
एयरसेल मैक्सिस डील घोटाले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम आरोपित नंबर-1 बन गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घोटाले में पटियाला हाउस की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। जिसमें आरोपितों की सूची में
पी. चिदंबरम का नाम सबसे ऊपर है।
Click here to enlarge imageचिदंबरम पर इस डील में नियमों की अनदेखी कर विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड का क्लीयरेंस देने का आरोप है। इसके एवज में उनके बेटे कार्ति से जुड़ी कंपनी को दी गई 1.16 करोड़ रुपये की रकम को ईडी पहले ही जब्त कर चुका है। एयरसेल मैक्सिस डील घोटाले में मनी लांडिंग को लेकर ईडी ने जून में आरोपपत्र दाखिल कर दिया था, जिसमें कार्ति को आरोपित बनाया गया था। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए तथ्य सामने आने के बाद घोटाले में पी. चिदंबरम की सीधी भूमिका के पुख्ता सुबूत मिले हैं। इसके बाद एजेंसी ने पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का फैसला किया। पी. चिदंबरम के अलावा आठ लोगों और कंपनियों को भी आरोपित बनाया गया है।
नियमों के विरुद्ध जाकर दी थी मंजूरी: ईडी के आरोपपत्र के अनुसार, 2006 में पी. चिदंबरम ने नियमों का उल्लंघन करके एयरसेल में मैक्सिस के विदेशी निवेश को मंजूरी दी थी। वित्त मंत्री के रूप में पी. चिदंबरम केवल 600 करोड़ रुपये तक के विदेशी निवेश का एफआइपीबी क्लीयरेंस दे सकते थे। लेकिन मैक्सिस ने अपनी मॉरीशस की सब्सिडिरी व अन्य कंपनियों के मार्फत एयरसेल में कुल 3,560 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया। इस तरह से परोक्ष रूप से मैक्सिस ने एयरसेल में 100 फीसद का निवेश कर दिया था। मैक्सिस ने मलेशिया स्टॉक एक्सचेंज में दाखिल अपनी रिपोर्ट में खुद इसे स्वीकार किया था। एफआइपीबी के तत्कालीन अधिकारियों से पूछताछ के बाद साफ हुआ कि पी. चिदंबरम के कहने पर मैक्सिस को क्लीयरेंस दी गई थी।
कार्ति ने निभाई बिचौलिये की भूमिका: आरोप है कि एयरसेल-मैक्सिस डील के लिए एफआइपीबी क्लीयरेंस में कार्ति चिदंबरम ने बिचौलिये की भूमिका निभाई थी। जांच एजेंसियों की निगाह से बचने के लिए इस रकम को उन कंपनियों में लिया गया, जिनमें सीधे तौर पर भले ही कार्ति चिदंबरम का नाम नहीं था, लेकिन परोक्ष रूप से उन पर कार्ति का नियंत्रण था। अडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड ने मैनेजमेंट कंसल्टेंसी सर्विसेज के नाम पर एयरसेल से 29 मार्च, 2006 को 27.55 लाख रुपये हासिल किए थे। यह कंपनी चिदंबरम परिवार के वित्तीय मामलों को संभालने वाले एस. भास्करन के नेतृत्व में काम करती थी। इस कंपनी के पास कंसल्टेंसी देने के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञ ही नहीं थे और न ही कोई कंसल्टेंसी एयरसेल को दी गई थी। उधर, दिल्ली हाई कोर्ट में गुरुवार को 305 करोड़ रुपये के आइएनएक्स मीडिया मामले की सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने इस मामले में चिदंबरम को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक 29 नवंबर तक बढ़ा दी।
आठ अन्य आरोपित: आरोपपत्र में कार्ति के सीए एस. भास्करन, एयरसेल के पूर्व सीईओ वी. श्रीनिवासन, मैक्सिस के अगस्तस रालफ मार्शल, एस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क, एयरसेल टेलीवेंचर, मैक्सिस मोबाइल सर्विस, बुमी अरमदा और बुमी अरमदा नेवीगेशन को भी नामजद किया गया है।