Tuesday, October 30, 2018

दिल्ली-NCR में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर तत्काल प्रतिबन्ध

Image result for old vehicle polluting airसाभार: जागरण समाचार 
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति को भयानक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल और
15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे वाहनों की सूची केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनसीआर के परिवहन विभाग की वेबसाइट पर डाली जाए और आदेश का उल्लंघन करने वाले वाहनों को जब्त किया जाए। 
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ये आदेश दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए तत्काल निर्देश जारी करने के न्यायमित्र वकील अपराजिता सिंह के सुझाव स्वीकार करते हुए दिए। कोर्ट ने उनके सुझाव को तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश देते हुए यह भी कहा कि ऐसे वाहन मालिकों की सुविधा और जानकारी के लिए स्थानीय अखबार में विज्ञापन दिया जाए। कोर्ट ने नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) के सात अप्रैल, 2015 के आदेश का अनुपालन करते हुए एनसीआर के परिवहन विभाग को 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने की तत्काल घोषणा करने का आदेश दिया है। एनजीटी के 2015 के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बहुत पहले ही याचिका खारिज कर चुका है। न्यायमित्र का कहना था कि एनजीटी का वह आदेश अंतिम हो चुका है, लेकिन अभी तक उसका प्रभावी ढंग से पालन नहीं हुआ है।
कोर्ट की टिप्पणी: कहते हैं कि लोधी गार्डन में सुबह लोगों के टहलने के लिए हवा ठीक नहीं है, जरा पुरानी दिल्ली स्टेशन जाकर भार ढोने वाले ढेला चालकों को देखो और उन्हें बताओ कि हवा ठीक नहीं है।
कहा, आदेश का उल्लंघन करने वाले वाहन जब्त किए जाएं
ईपीसीए को एहतियाती कदम उठाने की इजाजत दी: इसके अलावा कोर्ट ने एनवायरमेंट पोल्यूशन कंट्रोल अथॉरिटी (ईपीसीए) को दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने की इजाजत दी है। उधर, न्यायमित्र ने यह भी कहा कि प्रदूषण के लिए किसानों को पराली जलाने का दोषी ठहराया जा रहा है जबकि वे उनकी रोजी रोटी से जुड़ा है। दिल्ली वाले अपनी तरफ से कोई समझौता नहीं कर हैं, वे एक फीसद उपकर देकर डीजल वाहन चला रहे हैं।
प्रदूषण की शिकायत को सोशल मीडिया अकाउंट बनाने का आदेश: अपराजिता सिंह ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति का हवाला देते हुए प्रदूषण की शिकायत के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म सृजित करने का आदेश दिए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोर्ट आदेश देता है, लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा। मॉनीटरिंग से लेकर सारा सिस्टम तैयार है, लेकिन कोई ऐसा प्लेटफार्म नहीं है जहां जाकर लोग शिकायत करें। इसके लिए सीपीसीबी को फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया अकाउंट बनाने का आदेश दिया जाए ताकि लोग वहां शिकायत कर सकें। सिंह ने कहा कि आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अगर कोर्ट अधिकारियों को तलब करता है तो उससे कुछ नहीं होगा। अधिकारी समय मांग लेते हैं। लेकिन सोशल मीडिया का सरकार पर असर होता है। इस पर कोर्ट की टिप्पणी थी कि शिकायतें तो आ जाएंगी, लेकिन उन्हें निपटाएगा कौन।