साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर आम्रपाली समूह की कंपनियों को बड़ा फ्राड करने वाली करार देते हुए कहा कि इन्होंने
फ्लैट खरीददारों से ली रकम को दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर कर दिया और अब इस बड़े रैकेट को उजागर करने की जरूरत है। इसमें शामिल लोगों को जरूरत पड़े तो जेल भी भेजा जाएगा। जस्टिस अरुण मिश्र और यूयू ललित की खंडपीठ को बुधवार को इस मामले के फारेंसिक ऑडिटरों ने बताया कि इन कंपनियों के दस्तावेजों को देखकर पता चला है कि करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम आम्रपाली की एक सहायक कंपनी ने गौरीसुता इंफ्रास्ट्रकचर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को दे दिया है। वैधानिक ऑडिटरों ने कई गड़बड़ियां की हैं। यह अपने दायित्वों को निभाने में पूरी तरह से नाकामयाब रही हैं। 1खंडपीठ ने कहा कि इस रकम को वापस हासिल करने की जरूरत है। इसी मकसद से फारेंसिक ऑडिट कराया जा रहा है। यह एक बड़ा रैकेट है और इसे उजागर किए जाने की जरूरत है। आम्रपाली समूह ने बड़ी धोखाधड़ी की है। दूसरी ओर, फारेंसिक ऑडिटर रवि भाटिया और पवन कुमार अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि आम्रपाली की कुछ कंपनियों ने फ्लैट खरीददारों की रकम को इसी मकसद से बनाई गई कुछ मुखौटा कंपनी को भी दे दिया है। सुनवाई के दौरान फारेंसिक ऑडिटरों ने कहा कि उन्हें इस मामले में अभी तक कोई धमकी नहीं मिली है। खंडपीठ ने कहा कि उन्हें अगर धमकी मिलने का अंदेशा भी हो तो वह इसकी जानकारी तुरंत कोर्ट को दें। हम उस मामले को देख लेंगे। इस पर फारेंसिक ऑडिटरों ने कहा कि आशीष जैन और विवेक मित्तल गौरीसुता इंफ्रास्ट्रकचर्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक हैं और वह समूह के वैधानिक ऑडिटरों के रिश्तेदार भी हैं। फारेंसिक ऑडिटरों ने खंडपीठ को बताया कि आम्रपाली ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल आफिसर (सीएफओ) चंदर वाधवा जांच में उनके साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। 1उन्होंने कहा कि उन्हें याद नहीं कि उन्हें कंपनी का सीएफओ कब बनाया गया। हालांकि उन्हें अपनी शादी की तारीख और अन्य जानकारियां याद हैं। इसके बाद अदालत ने वाधवा को अगली सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर को पेश होने को कहा है।