साभार: जागरण समाचार
ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों सहित आम आदमी को ठगने की शुरुआत एक साल पहले हुई थी। नवंबर 2017 में इंदौर पुलिस को अमन नाम के युवक ने शिकायत दी थी। इस शिकायत ने देश में चल रहे साइबर क्राइम को
खोल दिया। ढाई माह की जांच से 22 राज्यों में फैले नेटवर्क का पता चला और एक के बाद एक पुलिस ने छह लोगों को पकड़ा। क्राइम भी ऐसा कि लोग उसकी शिकायत दर्ज तक नहीं करवाते थे। आरोपित कंपनियों के वालेट को हैक कर उससे दो सौ से दो हजार रुपये तक चुराते थे। इंदौर पुलिस अब पूरे नेटवर्क को खत्म करने में जुटी हुई है। जनवरी 2018 में पुलिस ने एफआइआर दर्ज की। दो युवकों को पकड़ा गया।
दोनों आरोपितों ने पुलिस को बताया कि उसने अमन का अकाउंट पिन नंबर से हैक किया था। उस समय फोन-पे पर कोई ओटीपी न होकर पिन नंबर चलता था। अमन के अलावा आरोपित करीब 115 अकाउंट हैक कर उससे रुपये निकाल चुके थे। आरोपितों का मोबाइल चेक किया तो उसमें वाट्सएप ग्रुप मिले, जिसमें करीब 22 राज्यों के 11 हजार लोग जुड़े थे। लोग उसमें डेबिट, क्रेडिट कार्ड से लेकर सिम तक बल्क में बेच रहे थे। मध्य प्रदेश में राज्य साइबर सेल इंदौर के पुलिस अधीक्षक जितेंद्र सिंह के नेतृत्व में जांच अभी जारी है।
आधार लिंक करने के बहाने अंगूठे के निशान लेकर करते थे दूसरे सिम भी एक्टिवेट: इंदौर पुलिस की जांच में सामने आया कि फर्जी सिम असम, उड़ीसा, झारखंड व अन्य राज्यों के है। इन ग्रुप में सिम बेचने वाले रिटेलर भी है। यदि कोई व्यक्ति कोई सिम लेने आता था तो वह उसका बार-बार आधार लिंक करवाने के लिए अंगूठे का निशान लेते थे। इसी का फायदा उठाकर वह उपभोक्ता द्वारा लिए जा रहे सिम के अलावा दूसरी कंपनी के सिम भी ऑन कर लेते थे। वह उपभोक्ता को अंगूठे का निशान सही तरह से नहीं लगने की बात कहकर उससे दोबारा निशान लेते। पुलिस उसकी भी जांच कर रही है कि ऐसे कितने सिम निकले है।
फर्जी सिम से होता था खेल: आरोपितों के पकड़े जाने पर पता चला कि राजस्थान के हनुमानगढ़ के कर्णपुरा निवासी कालूराम ने उनको 40 सिम बेचे थे। उसमें 20 सिम वह प्रयोग कर फेंक चुके थे। जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया। वह इन फर्जी सिम के जरिए ही धोखाधड़ी करते और दूसरे के अकाउंट से पैसा निकालते ताकि वह पकड़े न जा सके।