साभार: जागरण समाचार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो एबी के बीच पिछले चार वर्षो में 12 दफे मुलाकात हो
चुकी है। रविवार को ये दोनों नेता 13वीं बार मिलेंगे, लेकिन इस बार का माहौल पिछले चार वर्षो से थोड़ा बदला हुआ है। अभी तक इनकी मुलाकात चीन के साथ बढ़ते तनाव के माहौल में होती रही है, जबकि इस बार चीन की तरफ से भारत व जापान के साथ रिश्तों को समान्य बनाने की कोशिश के बीच मुलाकात होगी। जानकारों की मानें तो चीन की कूटनीति में आए इस बदलाव के बावजूद मोदी व एबे अपने रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
मोदी शनिवार देर शाम जापान पहुंच गए, जहां वह शिंजो एबी के साथ मिलकर भारत-जापान सालाना बैठक की अगुआई करेंगे। मोदी ने शनिवार को विमान में बैठने से पहले दिए गए संदेश में इस यात्र का टोन बहुत हद तक सेट कर दिया है। उन्होंने जापान को भारत का सबसे विश्वसनीय साङोदार बताते हुए इस रिश्ते को दोनों देशों के लिए फायदेमंद बताया। उन्होंने कहा, ‘हमारे बीच एक विशेष रणनीतिक व वैश्विक साङोदारी का रिश्ता है। हाल के वर्षो में हमारे तकनीकी व आर्थिक रिश्तों में भी भारी बदलाव आया है। जापान हमारे राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया में भी बड़ा साझीदार है। मेरी पीएम एबी के साथ तमाम मुद्दों पर बात होगी। साथ ही मैं भारतीय व जापानी कारोबारियों और वहां रहने वाले भारतीयों से भी मिलूंगा।’
विदेश सचिव विजय गोखले के मुताबिक, मोदी और एबी के बीच होने वाली शिखर वार्ता में निश्चित तौर पर भारत में और तीसरे देशों में लगाई जाने वाली ढांचागत परियोजनाओं के बारे में बात होगी। लेकिन रक्षा क्षेत्र में सहयोग एक बड़ा अहम मुद्दा होगा जिसे दोनों नेता खासतौर पर बढ़ावा दे रहे हैं। वर्ष 2017 में एबी की भारत यात्र के दौरान रक्षा क्षेत्र में पांच स्तरीय वार्ता की सहमति बनी थी और इस पर पालन भी हो रहा है। अब इसकी समीक्षा की जाएगी। इस क्रम में दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच एक विशेष समझौता भी किए जाने के लिए बातचीत शुरू की गई है। यह समझौता कुछ ऐसा ही होगा जैसा भारत व अमेरिका के बीच किया गया है। इसमें दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य जहाजों को अपने यहां ठहरने या उन्हें दूसरी कोई मदद पहुंचाने को सहमत हुए हैं।
विदेश मंत्रलय के दूसरे सूत्रों का कहना है कि मोदी व एबी के बीच मुलाकात पहली बार ऐसे माहौल में हो रहा है, जब चीन के साथ दोनों का लगातार संपर्क बना हुआ है। एबी एक दिन पहले ही चीन की ऐतिहासिक यात्र से लौटे हैं, जहां उन्होंने कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। दूसरी तरफ चीन व भारत के शीर्ष नेताओं की तरफ से तनाव को खत्म करने की लगातार कोशिश की जा रही है। हालांकि इससे मोदी और एबी ने लंबी अवधि के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए जिस रणनीतिक साङोदारी की नींव रखी है उस पर कोई असर नहीं होगा।
सनद रहे पिछले वर्ष मोदी व एबी के बीच सालाना बैठक के बाद 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे और कहा गया था कि अमेरिका के बाद जापान भारत का सबसे अहम रणनीतिक साङोदार बन गया है।