Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार आम धारणा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कट्टर हिंदुत्तव का हिमायती है, मुस्लिम विरोधी है। वहीं दूसरी ओर संघ के सामाजिक सरोकार हैं, जिनमें सभी के लिए जगह है। संघ संचालित
विद्या भारती के अधिकतर स्कूलों में बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं। हां, यह बात अलग है कि मुस्लिम हो या हंिदूू, स्कूल की नियमित दिनचर्या का पालन सभी को समान रूप से करना पड़ता है। गीता पाठ हो या गायत्री मंत्र, सरस्वती वंदना हो या भोजन मंत्र, संस्कारों की शिक्षा के रूप में ये इन स्कूलों की दैनंदिनी का अहम हिस्सा हैं। हंिदूू अभिभावक हों, मुस्लिम हों या ईसाई, सभी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं। बावजूद इसके इन स्कूलों में बड़ी संख्या में मुस्लिम बच्चे दाखिला लेते हैं। सभी बच्चे समान रूप से स्कूल की दिनचर्या का पालन करते हैं।
बच्चों या इनके अभिभावकों को कभी भी इन स्कूलों में किसी तरह का भेदभाव नजर नहीं आता। यही वजह है कि मुस्लिम बच्चे गीता पाठ भी करते हैं और गायत्री मंत्र भी। शांति मंत्र, भोजन मंत्र उच्चारित करने के साथ-साथ सरस्वती पूजा में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं।
विद्या भारती के मंत्री एवं आरएसएस के वरिष्ठ स्वयंसेवक राम अवतार नारसरिया कहते हैं, विद्या भारती की ओर से झारखंड में 255 सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, 501 सरस्वती शिक्षा केंद्र एवं 125 सरस्वती संस्कार केंद्र चल रहे हैं। इन स्कूलों में एक लाख 30 हजार बच्चे पढ़ते हैं। इनमें 2500 से अधिक मुस्लिम विद्यार्थी हैं। ईसाई बच्चों की संख्या भी काफी है। विद्या भारती के सभी स्कूलों में आरएसएस संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार एवं द्वितीय सरसंघचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवरकर एवं अन्य महापुरुषों की तस्वीरें लगी हुई हैं। इन महापुरुषों के बारे में यहां के विद्यार्थियों को इतनी अच्छी जानकारी है कि अच्छे-अच्छे राष्ट्रवादी भी एक बार को चौंक जाएं।
दैनिक जागरण की टीम हजारीबाग जिला स्थित सरस्वती विद्या मंदिर पहुंची तो वहां मुस्लिम बच्चे-बच्चियां उन्मुक्त कंठ से धारा प्रवाह गायत्री मंत्र एवं शांति मंत्र का पाठ कर रहे थे। गायत्री मंत्र सबको कंठस्थ। शांति मंत्र भी। यहां पढ़ने वाली गिद्दी बस्ती की कक्षा 10 की छात्र साजिया एवं निशाद आफरीन कहती हैं, यहां पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार भी मिलता है। बताया जाता है कि सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम करना चाहिए। बड़ों की इज्जत करनी चाहिए। इन बच्चियों ने बताया कि आसपास कई सरकारी एवं निजी विद्यालय हैं परंतु इस स्कूल में जो वातावरण मिलता है, वह दूसरे स्कूलों में नहीं मिलता। साजिया के भाई, बहन ने तो इसी स्कूल से 10वीं पास भी कर ली है।
हजारीबाग जिला में ही स्थित सरस्वती विद्या मंदिर, सिरका अरगडा में 30 मुस्लिम विद्यार्थी पढ़ते हैं। यहां सुबह सभी सरस्वती वंदना एवं गीता का पाठ करते हैं। छुट्टी के समय वंदे मातरम का गायन करते हैं। सरस्वती पूजा के साथ-साथ भारत माता की पूजा भी की जाती है। स्कूल में पढ़ रहीं आरसी निगार, फरहत जहां, जनीरा, आफरीन परवीन, रेहान अंसारी सहित कई विद्यार्थियों ने बातचीत में कहा कि यहां कभी नहीं लगा कि यहां हिंदू एवं मुस्लिम बच्चों में कोई भेद भाव होता है। सभी बच्चे एक साथ बैठकर खाते हैं। लड़कियों का कहना था कि यह स्कूल दूसरे स्कूलों की तुलना में काफी सुरक्षित लगता है। यहां जो संस्कार मिलता है वह सभी के जीवन में काफी जरूरी है।