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साभार: जागरण समाचार
बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर ग्राहकों पर चार्ज लगाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सरकार ने फटकार लगायी है। केंद्र ने बैंकों से साफ कहा है कि इस तरह का चार्ज लगाने से आम लोगों के बीच बैंकों की
नकारात्मक छवि बनती है। इसलिए उन्हें ग्राहकों को उनके बचत खाते में न्यूनतम जमाराशि रखने के लिए आकर्षित करने को वैकल्पिक बैंकिंग उत्पाद शुरू करने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए। 1सूत्रों ने कहा कि बचत खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने पर चार्ज लगने का मुद्दा हाल में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई सरकारी बैंकों की बैठक में उठा। यह बैठक सरकारी बैंकों के कामकाज की समीक्षा करने के लिए बुलायी गयी थी। इसी बैठक में बैंकों को मिनिमम बैलेंस पर चार्ज लगाने के मुद्दे पर दी गयी।1सूत्रों ने कहा कि मिनिमम बैलेंस न होने पर लगने वाले चार्ज से बैंकों को कुछ खास कमाई नहीं हो रही है। इसके उलट यह चार्ज लगने से बैंकिंग उद्योग के बारे में एक नकारात्मक छवि बन रही है। खासकर आम लोगों के नजरिये से बैंकों को लेकर नकारात्मक छवि उभर रही है। इसलिए बैंकों को चाहिए कि वे ग्राहकों को बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस रखने को आकर्षित करने के लिए वैकल्पिक बैंकिंग उत्पाद शुरू करने की संभावनाएं तलाशें।1उल्लेखनीय है कि सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2017-18 में मिनिमम बैलेंस न रखने वाले बचत खाताधारकों से चार्ज के रूप में 3551 करोड़ रुपये वसूले हैं। सूत्रों ने कहा कि जब पांच सरकारी बैंकों का विश्लेषण कर यह जानने का प्रयास किया गया कि मिनिमम बैलेंस न रखने पर चार्ज के रूप में वसूली गयी राशि बैंकों की ब्याज से होने वाली आय के मुकाबले कितनी है तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। 1बैंकों को ब्याज के रूप में जितनी आय होती है, उसके मुकाबले चार्ज के रूप में वसूली जाने वाली यह राशि एक प्रतिशत भी नहीं है। इसी तरह बैंकों के ब्याज पर व्यय के मुकाबले यह राशि मात्र एक प्रतिशत के आसपास है। यही वजह है कि सरकार ने अब बैंकों को यह दी है।