न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप(एनएसजी) में भारत की सदस्यता के रास्ते में चीन ने एक बार फिर अड़ंगा डाला है। शुक्रवार को चीन ने फिर कहा कि एनएसजी में गैर एनपीटी देशों के प्रवेश पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं
आया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने ये बात कही। उनसे पूछा गया था कि क्या स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में चल रही पूर्ण बैठक में चीन के रुख में कोई बदलाव आया है? इस पर उन्होंने कहा, 'एनएसजी में नए सदस्यों के शामिल होने को लेकर स्पष्ट नियम है। जहां तक नए सदस्यों को शामिल करने के मापदंड की बात है, मुझे उम्मीद है कि बर्न की पूर्ण बैठक सिओल बैठक के नियमों का पालन करेगी।' चीन ने पिछले साल सिओल में सत्र के दौरान भी एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत के आवेदन का विरोध किया था। बर्न में भारत को सदस्यता मिलने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन चीन के रुख की वजह से उसे एक साल और इंतजार करना पड़ेगा। चीन इस बात पर अड़ा हुआ है कि भारत जब तक एनपीटी पर दस्तखत नहीं करेगा, उसे एनएसजी में शामिल नहीं किया जायेगा। 48 देशों के इस समूह में भारत के दावेदारी पेश करने के बाद पाकिस्तान ने भी आवेदन दिया है। पाकिस्तान को इस मामले में चीन का समर्थन है, जबकि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश भारत का समर्थन कर रहे हैं। एनएसजी दुनिया भर में न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और मटेरियल के एक्सपोर्ट पर नियंत्रण रखता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल सिर्फ शांतिपूर्ण मकसद के लिए ही हो।
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साभार: भास्कर समाचार
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