पिछले पांच साल के दौरान दसवीं एवं बारहवीं कक्षा के परीक्षा परिणामों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। 17 दिसंबर को घोषित किए जा रहे परीक्षा परिणाम सबसे कम रहे हैं। सर्वाधिक चिंता का विषय दसवीं कक्षा का परिणाम रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि अभी यह हाल है तो वार्षिक परीक्षाओं में क्या होगा,
शिक्षा जगत के लिए यह बहुत चिंता का विषय है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालात यह है कि प्रदेश के बच्चे चाकलेट ब्वाय बनकर रह गए हैं। चौतरफा मार ङोल रहे शिक्षा विभाग व बोर्ड के हालातों का समय रहते सुधार नहीं किया गया तो देश के कर्णधारों का भविष्य क्या होगा, सोचा जा सकता है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड प्रशासन बृहस्पतिवार को दसवीं एवं बारहवीं कक्षा के प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम घोषित कर रहा है। प्रथम सेमेस्टर में दसवीं कक्षा में प्रदेश के 2 लाख 14 हजार 497 छात्र फेल हो गए हैं। कमोबेश ऐसी ही स्थिति बारहवीं कक्षा की रही है। इस कक्षा के 1 लाख 7 हजार 215 छात्र फेल हो गए हैं। ये हाल प्रथम सेमेस्टर परीक्षाओं में है तो वार्षिक परीक्षा में क्या हालात होंगे, अंदाजा लगाया जा सकता है। उस दौरान री-अपीयर व वार्षिक परीक्षा का भी बोझ पड़ेगा। औसतन 8 विषयों की परीक्षा देना और मुश्किल होगा। रिजल्ट सुधार की गुंजाइश बहुत कम है। शिक्षाविद डॉ. डीपी कौशिक ने कहा कि शिक्षा का गिरता स्तर निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। लापरवाही व आवारागर्दी करने वाले छात्रों को नियंत्रित करने की व्यवस्था नहीं है। शिक्षक नियंत्रण करने के लिए डांट दे तो हंगामा खड़ा हो जाता है। ऐसे बच्चे अभिभावकों के नियंत्रण से भी बाहर हो जाते हैं। यहीं कारण है कि चाकलेट ब्वाय बनकर रह गए हैं। उन्होंने कहा कि उनके हिसाब से शिक्षा की गिरावट के लिए 50 प्रतिशत शिक्षक और 50 फीसद पेटर्न बदलाव, राजनीतिकीकरण, गैर जिम्मेदार अभिभावक जिम्मेवार हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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