साभार: जागरण समाचार
रोहतक में नेपाली युवती से हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सातों दोषियों को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से झटका लगा है। हाई कोर्ट ने जिला अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए सातों दोषियों
की सजा के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया है। नेपाली युवती की 1 फरवरी 2015 को दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। मामले में अदालत ने 21 दिसंबर 2015 को सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीमा सिंहल ने कहा था, 'औरत न तो बेबस है और न ही उपभोग की वस्तु है। ऐसी दरिंदगी से शरीर ही नहीं आत्मा को भी चोट पहुंचती है। शरीर के घाव तो अब नहीं भरे जा सकते, लेकिन आत्मा के भर सकते हैं।' इस टिप्पणी के बाद अदालत ने दुष्कर्म के बाद क्रूरता से हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए सभी सात अभियुक्तों को अदालत ने मौत की सजा सुनाई।
अशक्त नेपाली युवती की दुष्कर्म के बाद कर दी थी बेहद क्रूरता से हत्या: 1 फरवरी 2015 काे हुए इस क्रूरतम अपराध में अदालत का यह ऐतिहासिक फैसला था। अदालत ने अपना फैसला करीब साढ़े 11 महीने में सुना दिया था। इस मामले में नाै अभियुक्तों में एक पहले ही आत्महत्या कर चुका था और एक नाबालिग था। अदालत ने सातों दोषियों को हत्या में सजा ए मौत, सामूहिक दुष्कर्म और साजिश में जीवन रहने तक कैद, अपहरण में 10 साल कैद, शव छुपाने में सात साल कैद की सजा सुनाई गई थी। एक आरोपी राजेश उर्फ घुचडू़ को अदालत ने कुकर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई।
256 पन्ने का फैसला, कड़ी टिप्पणी कर एडीजे ने समाज को दिया था संदेश: रूह तक कंपा देने वाले और दिल्ली निर्भया केस की भी हदें पार कर देने वाले इस मामले की हाईकोर्ट के आदेश पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हुई। केस की जांच के लिए एसआइटी बनाई गई थी। इसके प्रभारी डीएसपी अमित भाटिया थे। एसपी और एसआइटी प्रभारी के निर्देशन संगीन वारदात की जांच कर लगभग 550 पन्नों का चालान पेश किया गया था। मामले में 66 गवाह थे, हालांकि 59 गवाहों के बयान ही दर्ज किए गए थे।
इसके अलावा दोषियों के मोबाइल कॉल रिकार्ड और उनकी लोकेशन के अलावा एफएसएल रिपोर्ट को मुख्य रुप से साक्ष्य के रूप में पेश किया गया था। इन सबके आधार पर एडीजे सीमा सिंहल की अदालत ने गद्दीखेड़ी निवासी सात दोषियों को दोषी करार दिया गया था।
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीमा सिंहल की अदालत में अशक्त नेपाली युवती से हैवानियत कर हत्या के केस में सजा पर बहस हुई। इस दौरान सभी आरोपी सहमे हुए थे और उनके चेहरे से हवाइयां उड़ी थीं।
यह है दरिंदगी और हैवानियत की दास्तान: नेपाल निवासी अशक्त युवती मीना चिन्योट कॉलोनी निवासी बड़ी बहन व जीजा के घर आई हुई थी। 1 फरवरी, 2015 को अशक्त युवती घर से निकलकर रास्ता भटक गई। वह भटकते हुए हिसार रोड पर पहुंच गई। यहां से उसे घर पुहंचाने की बात कहकर जाने के दौरान गद्दीखेड़ी निवासी नौ युवक उसे बहला-फुसलाकर बहुअकबरपुर स्थित खेत में बने कोठरे में ले गए। यहां आरोपियों ने शराब पी और अशक्त नेपाली युवती से दरिंदगी की। दोषियों ने पीडि़ता से दुष्कर्म, कुकर्म कर हत्या कर दी थी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ था दरिंदगी का खुलासा: 1 फरवरी को पीडि़ता के लापता होने के बाद 4 फरवरी को उसका शव बहुअकबरपुर के खेत में निर्वस्त्र पड़ा मिला था। शव को कुत्ते नोंच रहे थे। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पीजीआइ के फोरेंसिक साइंस के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके धत्तरवाल ने अपनी रिपोर्ट में जो रिपोर्ट दी वह दिल दहलाने वाली थी।
एक आरोपी ने कर ली थी आत्महत्या: उन्होंने रिपार्ट में कहा कि इस केस में दिल्ली निर्भया केस की भी हदें पार की गई हैं। युवती के शरीर से सीमेंट की चादर और कंडोम बरामद हुआ था। सीमेंट की चादर पीछे से शरीर में घुसाई गई थी। इससे उसके शरीर में गहरे जख्म हो गए थे। आरोपियों ने उसके सिर पर भी प्रहार किया था। गहरी चोटों के कारण ही युवती की मौत हुई थी। इस मामले में नौ आरोपियों के नाम सामने आए थे। इनमें एक आरोपी सोमबीर ने खुदकुशी कर ली थी।
इन हैवानों को सुनाई गई थी फांसी की सजा: राजेश उर्फ घुचडू, सुनील उर्फ शीला, सरवर, मनबीर, सुनील उर्फ माधा, पवन, प्रमोद उर्फ पदम