साभार: जागरण समाचार
चीन ने भले ही जैश सरगना मसूद अजहर को बचा लिया हो लेकिन उसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने का सिलसिला शुरु हो गया है। सबसे पहले फ्रांस ने
पाकिस्तान में रह रहे इस आतंकी के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। इसके तहत फ्रांस सरकार के अधिकार में आने वाले हर भौगोलिक स्थान पर मसूद अजहर की परिसंपत्तियों को जब्त कर लिया जाएगा और साथ ही वहां से अजहर या उसके किसी संगठन के साथ वित्तीय लेन देन करना नामुमकिन हो जाएगा।
इसका यह भी मतलब हुआ कि फ्रांस से अजहर या उसके संगठन जैश या उससे जुड़े किसी भी दूसरे संगठन को किसी भी प्रकार का दान या कोई अन्य वित्तीय मदद नहीं मिल सकेगी। भारत ने फ्रांस के इस कदम का स्वागत किया है।बुधवार को देर रात चीन ने मसूद अजहर को अतंरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने के जिस प्रस्ताव का संयुक्त राष्ट्र में विरोध किया था उसे फ्रांस ने ब्रिटेन और अमेरिका के साथ मिल कर लाया था।
इस प्रस्ताव के नहीं पारित होने के बाद ही गुरुवार को कुछ देशों ने चीन के रवैये पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा था कि वह अजहर के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने के दूसरे उपायों पर विचार कर रहे हैं। फ्रांस ने यह भी कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ वह हमेशा भारत के साथ रहेगा। पुलवामा हमले के बाद भारत ने जब बालाकोट में जैश के ठिकाने पर हमला किया था तभी फ्रांस ने कहा था कि वह यूएन में अजहर के खिलाफ नया प्रस्ताव लाएगा।
अब इस प्रतिबंध के बाद उसने कहा है कि वह दूसरे यूरोपीय देशों से भी बात करेगा कि वे अजहर पर आर्थिक प्रतिबंध लगाये और उसके तमाम संगठनों पर वित्तीय अंकुश कसा जाए।फ्रांस का यह कदम सीधे तौर पर जैश के आर्थिक कमर को भले ही नहीं तोड़ सके लेकिन इससे पाकिस्तान पर दबाव बनाने में जरुर मदद मिलेगी। सबसे पहले तो एफएटीएफ में पाकिस्तान की मुश्किल और बढ़ेगी क्योंकि उसके यहा फल-फूल रहे एक और आतंकी संगठन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रतिबंध लग गया है।
भारत यह बात रखेगा कि जब पाकिस्तान अपने स्तर पर इन संगठनों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने में असफल हुआ तभी दूसरे देशों की तरफ से इस तरह के कदम उठाये गये। फ्रांस ने सीधे तौर पर इस कदम के पीछे पुलवामा हमले में जैश की भूमिका को बड़ी वजह बताया है। सनद रहे कि पाकिस्तान अभी भी पुलवामा हमले में जैश की भूमिका मानने को तैयार नहीं है। पाकिस्तानी विशेषज्ञ यह कहते हैं कि जैश की तरफ से कोई भी फोन करके अगर जिम्मेदारी ले ले तो उसे आधिकारिक तौर पर जैश का कदम नहीं माना जा सकता।
अजहर पर अंकुश लगाने में एनडीए का रिकार्ड बेहतर - सुषमा: कांग्रेस की तरफ से मसूद अजहर पर अंकुश लगाने की सरकार की नीतियों की आलोचना का जबाव खुद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दिया है। स्वराज ने एक के बाद एक पांच ट्विट के जरिए यह स्पष्ट किया है कि जैश ए मोहम्मद सरगना को घेरने में मौजूदा सरकार का प्रदर्शन कांग्रेस शासित यूपीए से बहुत बेहतर रहा है। स्वराज ने कहा है कि अजहर के खिलाफ प्रतिबंध लगाने को यूएन में चार बार प्रस्ताव लाया गया। सबसे पहले वर्ष 2009 में भारत की तरफ से यह प्रस्ताव लाया गया था।
उसके बाद वर्ष 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिल कर प्रस्ताव लाया था। फिर वर्ष 2017 में अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की तरफ से संयुक्त तौर पर प्रस्ताव लाया गया। वर्ष 2019 में फिर से अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की तरफ से प्रस्ताव लाया गया जिसे सुरक्षा परिषद के 14 सदस्यों ने समर्थन किया।
इसके बाद विदेश मंत्री ने कहा है कि मैं यह सारे तथ्य इसलिए सामने ला रही हूं कि जो नेता यह बता रहे हैं कि अजहर मसूद पर सरकार की नीति असफल है वे खुद देख सकें कि वर्ष 2009 में हम अकेले थे लेकिन उसके बाद वर्ष 2016 से हमें अजहर मसूद पर प्रतिबंध लगाने पर विश्वव्यापी समर्थन मिला है।