साभार: जागरण समाचार
लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर पहले चरण के लिए होने वाले मतदान का नामांकन तक शुरू हो गया है, लेकिन दिल्ली के साथ-साथ बिहार में भी कांग्रेस पार्टी का साथी दलों से गठबंधन नहीं बन पाया है। इस बीच
दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ कांग्रेस के गठबंधन को लेकर अब राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
मंगलवार को बदले घटनाक्रम में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (राकांप) प्रमुख शरद पवार ने पहल की है। सूत्रों के मुताबिक, AAP-कांग्रेस के बीच दिल्ली में गठबंधन के मुद्दे पर शरद पवार मध्यस्थतता की भूमिका निभा सकते हैं। बताया जा रहा है कि एनसीपी चीफ शरद पवार ने मंगवाल सुबह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात फिर इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य और अरविंद केजरीवाल के करीबी संजय सिंह से भी मुलाकात की। इन मुलाकातों का क्या परिणाम निकला? यह पता नहीं चला है।
वहीं, बताया जा रहा है कि AAP के साथ कांग्रेस के संभावित गठबंधन से नाराज शीला दीक्षित अब भी अपने रुख पर कायम हैं। शीला दीक्षित कई बार पार्टी आलाकमान को कह चुकी हैं कि कांग्रेस और AAP का गठबंधन नहीं होना चाहिए। इससे कांग्रेस पार्टी को भविष्य में नुकसान होगा। इस मुद्दे पर शीला दीक्षित ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ एक बैठक भी की। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि वे पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर स्थिति साफ करने को कहेंगे।
इस बीच शीला दीक्षित ने अपने सहयोगियों राजेश लिलोठिया, देवेंद्र यादव, हारुन यूसुफ के साथ एक बैठक अपने घर पर बुलाई थी। बैठक के बाद हारून यूसुफ़ ने कहा रोज़ाना की तरह यह सामान्य बैठक थी। AAP से गठबंधन पर जो पार्टी नेतृत्व फैसला लेगा, हम उसके साथ हैं।
वहीं, शीला दीक्षित की राहुल को लिखी चिट्ठी पर हारून ने कहा कि चिट्ठियां आमतौर पर आलाकमान को लिखते रहते हैं, लेकिन जिस तरह की चिट्ठी मीडिया बता रही है हमें उसकी जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) अध्यक्ष शीला दीक्षित AAP के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं और बताया जा रहा है कि इस बाबत दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को खत भी लिखा है। इसमें उन्होंने AAP से गठबंधन को लेकर असहमति जताते हुए कहा है कि यह लोकसभा चुनाव में नुकसान का सबब हो सकता है।
बिहार-बंगाल में भी गठबंधन नहीं: भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस देशभर में गठबंधन की नीति पर काम कर रही है, लेकिन दो बड़े राज्यों पश्चिम बंगाल और बिहार में भी अभी तक पार्टी को कामयाबी नहीं मिल पाई है। उत्तर प्रदेश में भी स्पष्ट है कि गठबंधन कर चुकी सपा-बसपा कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाएंगी। वहीं, बिहार में राजद एवं पश्चिम बंगाल में वाम दलों के साथ लगातार रस्साकशी ही चल रही है। अगर यहां भी पार्टी को कामयाबी नहीं मिली तो इस सबका असर दिल्ली में भी देखने को मिल सकता है। पार्टी के आला नेताओं का कहना है कि यदि कहीं गठबंधन नहीं होता है तो फिर महज दिल्ली की सात सीटों के लिए भी गठबंधन करने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।