Monday, March 18, 2019

डॉलर की कमजोरी और निवेशकों के भरोसे से रुपया 7 महीनों की ऊंचाई पर, आगे और होगा मजबूत

साभार: जागरण समाचार 
डॉलर की मजबूत आवक और उसमें आई गिरावट की वजह से रुपया सात महीनों के उच्चतम स्तर को छूने में सफल रहा है। सोमवार को रुपया 68.62 की ऊंचाई पर पहुंचने में सफल रहा। शुक्रवार को रुपया 69.10 पर बंद हुआ था।
डॉलर की कमजोरी और निवेशकों के भरोसे से रुपया 7 महीनों की ऊंचाई पर, आगे और होगा मजबूत!अमेरिका के कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने इस साल के अंत तक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ाई है। वहीं, ब्रिटिश करेंसी पॉन्ड, करीब 9 महीनों की ऊंचाई पर पहुंच चुका है। पॉन्ड में आई
मजबूती की वजह ब्रेग्जिट में होने वाली संभावित देरी है। फर्स्ट रैंड बैंक में ट्रेडिंग डेस्क के हेड प्रकाश नायर ने कहा, 'हमने पिछले कुछ दिनों में बाजार में डॉलर का मजबूत प्रवाह देखा है। डॉलर रुपया स्वैपिंग और व्यापार घाटे में आई गिरावट की वजह से रुपये में मजबूती आई है।' पिछले हफ्ते रॉयटर्स के पोल में यह बात सामने आई थी कि पिछले एक सालों में निवेशक पहली बार रुपये को लेकर बुलिश हो रहे हैं। सत्तारुढ़ पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता और अगले आम चुनाव के बाद उसकी वापसी की उम्मीदों ने निवेशकों के भरोसे को मजबूती दी है।
मार्च में भारतीय शेयर बाजार और डेट मार्केट में विदेशी पूंजी के प्रवाह में तेजी आई है। 15 मार्च तक विदेशी निवेशकों ने बाजार में 3.65 अरब डॉलर की पूंजी का निवेश किया है। आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में जहां विदेशी निवेशकों ने बाजार में 1.58 अरब डॉलर लगाए वहीं जनवरी में यह रकम 78.8 करोड़ डॉलर रही। नायर ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि किसी ने इस बात की उम्मीद लगाई होगी कि रिजर्व बैंक के आक्रामक हस्तक्षेप के बिना रुपये की सेहत में तेज सुधार होगा। रुपये के लिए अगला सपोर्ट 68.50 पर होगा।' रुपये की सेहत को मजबूत करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बैंकों के साथ तीन साल की विदेशी विनिमय अदला-बदली व्यवस्था के तहत बैंकिंग प्रणाली में पांच अरब डॉलर की नकदी डालेगा।
नकदी की स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई यह रकम इसी वित्त वर्ष में डालेगा। यह प्रक्रिया 26 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च 2022 तक चलेगी। यह स्वैप या अदला-बदली व्यवस्था रिजर्व बैंक की ओर से विदेशी मुद्रा विनिमय की खरीद-बिक्री के रूप में होगी। इसके तहत बैंक की ओर से रिजर्व बैंक को अमेरिकी डॉलर बेचा जाएगा और साथ ही वह स्वैप की अवधि समाप्त होने के बाद इतनी ही राशि के डॉलर की खरीद की सहमति देगा।