Saturday, October 6, 2018

अमेरिका के दबाव को दरकिनार कर रूस से एस-400 का करार, दुश्मन देशों की खतरनाक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देगा भारत

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साभार: जागरण समाचार 
दुश्मन देशों की खतरनाक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने वाली रूस की वायु रक्षा प्रणाली एस-400 अब भारत की रक्षा करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच नई दिल्ली में शुक्रवार को सालाना बैठक में
एस-400 ट्रायंफ सिस्टम खरीदने पर मुहर लग गई। रूस पर प्रतिबंध लगाने संबंधी अमेरिकी काटसा कानून को देखते हुए दोनों पक्षों ने इस करार को मीडिया के सामने लाने से परहेज किया है। भारत ने अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए रूस से दुनिया की सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली एस-400 खरीदने का फैसला किया है। हालांकि, अमेरिका ने अब संकेत दिया है कि वह इसको लेकर अड़ियल रवैया नहीं अपनाएगा।
भारत और रूस के बीच शुक्रवार को 19वीं सालाना बैठक थी। इस बैठक में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति पुतिन गुरुवार को नई दिल्ली आए थे। शुक्रवार को उनकी मोदी के साथ कुल मिलाकर 4.30 घंटे लंबी बातचीत हुई। इसमें डेढ़ घंटे दोनों नेताओं की एकांत में वार्ता हुई। दोनों नेताओं के बीच रूस में भारत की तरफ से नया तेल ब्लॉक खरीदने, साथ मिल कर नागरिक विमान बनाने, मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर शीघ्रता से सहमति बनाने, साथ मिल कर दूसरे देशों में संपर्क परियोजनाओं को लागू करने जैसे अहम मुद्दों पर ठोस बात हुई। अगले पांच वर्षो का द्विपक्षीय सहयोग का एजेंडा बनाने की जिम्मेदारी दोनों देशों के विदेश मंत्रियों को सौंपा गया। दोनों देशों के बीच आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
सूत्रों के मुताबिक भारत को एस-400 ट्रायंफ सिस्टम की आपूर्ति दो वर्षो बाद शुरू हो जाएगी। भारत फिलहाल इसके पांच स्क्वाड्रन खरीदेगा। हर स्क्वाड्रन में दो मिसाइल सिस्टम होते हैं। इसकी कीमत तकरीबन 39 हजार करोड़ रुपये आएगी। इसे देश के पांच अहम शहरों या रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम माने जाने वाले इलाकों में तैनात किया जा सकता है। 
लगा सकता है एक साथ 36 निशाने: 
  • एस-400 मिसाइल पाकिस्तान और चीन की तमाम आधुनिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता रखती है।
  • यह मिसाइलों को 600 किलोमीटर दूर ही पहचान लेती है और उन्हें लक्ष्य पर पहुंचने से 60 किलोमीटर पहले नष्ट कर सकती है।
  • यह एक साथ 36 निशाने लगा सकती है। इस तरह से यह पूरे मिसाइल अटैक को निष्फल बनाने की क्षमता रखती है। 
  • भारत से पहले चीन रूस से यह प्रणाली खरीद चुका है। दोनों देशों के बीच इसकी और खरीद को लेकर बातचीत जारी है।
अमेरिका नरम, कहा- मित्रों को नुकसान पहुंचाना मकसद नहीं: रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के सौदे को अंतिम रूप दिए जाने पर अमेरिका ने बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अमेरिका ने साफ किया कि ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट’ (काटसा) का मकसद अपने सहयोगियों या साझीदारों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना नहीं है।
अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने बताया कि रूस पर प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य उसके अनुचित व्यवहार का दंड देना और उसके रक्षा क्षेत्र में धन के प्रवाह को रोकना है। साथ ही उन्होंने साफ किया कि काटसा के तहत छूट पर विचार प्रत्येक लेन-देने के आधार पर किया जाएगा और छूट देने पर विचार के मानक भी बेहद कड़े हैं।
भारत को तकनीक नहीं देगा रूस: भारत को यह सिस्टम बेचा जा रहा है यानी इसके निर्माण या तकनीकी हस्तांतरण आदि पर बात नहीं हुई है। भारत के साथ बड़ा सौदा करके रूस बेहद खुश है। इसने कहा है कि दोनों देशों के बीच पारंपरिक रक्षा सहयोग के क्षेत्र में नए युग का आरंभ हो रहा है।
भारत में हथियार बनाने पर चर्चा: मोदी और पुतिन के बीच रक्षा सहयोग को लेकर दूसरे कई मुद्दों पर बात हुई है। इसमें मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में हथियारों का निर्माण शामिल है। लेकिन इसके बारे में अभी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।