Friday, July 14, 2017

चीन में लोकतंत्र की आवाज बुलंद करने वाले लियू शियाओबो का निधन: आठ साल से थे जेल में बंद

चीनके नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और मानवाधिकारवादी नेता लियु शियाओबो का गुरुवार को निधन हो गया। वह 61 साल के थे। शियाओबो काफी समय से लीवर कैंसर से पीड़ित थे। पिछले आठ साल से जेल में बंद
शियाओबो को कैंसर के इलाज के लिए ही पिछले महीने जेल से अस्पताल शिफ्ट किया गया था। शियाओबो चीन में काफी समय से लोकतंत्र के समर्थन में आवाज उठा रहे थे। नोबेल कमेटी ने शियाओबो की मौत के लिए चीन की सरकार को जिम्मेदार बताया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यूनिवर्सिटी प्रोफेसर से मानवाधिकार आंदोलन के पुरोधा बने शियाओबो को चीनी अधिकारियों ने अपराधी और देशद्रोही बताया था। चीन में तानाशाही सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के कारण शियाओबो को कई बार जेल जाना पड़ा। इतना ही नहीं, जेल से बाहर आने पर भी उन पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जाती थीं। उनकी पत्नी तक को भी नजरबंद किया जाता था। 
पिछले दिनों कई पश्चिमी देशों ने चीनी सरकार से कहा था कि वह शियाओबो को इलाज के लिए देश से बाहर जाने की इजाजत दे। हाल ही में जब एक जर्मन और एक अमरीकी डॉक्टर उन्हें देखने पहुंचे थे, तब उन्होंने दावा किया था कि शियाओबो की हालत इलाज के लिए बाहर जाने लायक है। इसके बावजूद चीन के डॉक्टर लगातार ये कहते रहे कि शियाओबो की बीमारी काफी गंभीर है, उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया है। उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत है, इसलिए वह इलाज के लिए बाहर नहीं जा सकते हैं। 
वहीं, दुनिया के कई मानवाधिकार संगठनों ने शियाओबो के स्वास्थ्य के बारे में सच्ची खबरों की कमी की निंदा की थी। उनका कहना था कि चीनी अधिकारी शियाओबो के बारे में सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। सुरक्षा कर्मियों से लैस अस्पताल की वेबसाइट ही केवल उनके स्वास्थ्य के बारे में सूचनाओं की एकमात्र स्रोत है। शेनयांग के पूर्वोत्तर शहर में चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी के फर्स्ट हॉस्पिटल के मुताबिक डॉक्टरों ने कहा था कि शियाओबो को जीवित रखने के लिए वेंटिलेशन पर रखना होगा, लेकिन उनके परिवार वालों ने मना कर दिया था। बता दें कि उन्हें 2009 में 11 साल कैद की सजा सुनाई थी। वह 8 साल जेल में काट चुके थे। शियाओबो को साल 2010 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था, पर सरकार की पाबंदियों की वजह वह पुरस्कार ग्रहण करने ओस्लो नहीं जा सके थे। नोबेल कमेटी ने सम्मान में उनकी कुर्सी को खाली रखी थी। 

विदेश मंत्रालय ने वेबसाइट से हटाई शियाओबो से जुड़ी जानकारी: एक अप्रत्याशित कदम में चीन के विदेश मंत्रालय ने शियाओबो की मौत के कुछ घंटे बाद ही अपनी वेबसाइट से उनसे जुड़े सवालों के जवाब हटा दिए। मंत्रालय रोजाना की प्रेस ब्रीफिंग का ब्योरा वेबसाइट पर डालता है। इस बारे में पूछने पर प्रवक्ता ने कहा कि यह मंत्रालय का अधिकार है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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