Thursday, July 13, 2017

सजायाफ्ता नेताओं के आजीवन बैन पर चुप्पी के लिए आयोग को फटकार; नेताओं के दबाव में रहना है तो बता दें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयाेग को कड़ी फटकार लगाई। दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन बैन के मुद्दे पर आयोग ने रुख साफ नहीं किया। कोर्ट ने दो टूक कहा कि आयोग चुप नहीं रह सकता। बेंच ने पूछा, "क्या आप
विधायिका के सामने लाचार महसूस कर रहे हैं? अगर हां, तो साफ बता दें। आयोग स्पष्ट बताए कि वह इस मांग के समर्थन में है या नहीं।' यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में मांग की थी कि आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन रोक लगाई जाए। बुधवार की कार्यवाही में क्या हुआ पढ़िएलाइव... 
जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच: एफिडेविटमें साफ है कि चुनाव आयोग दोषी नेताओं पर ताउम्र पाबंदी की मांग के समर्थन में है। 
मोहितराम (चुनाव आयाेग के वकील): राजनीतिको अपराधियों से मुक्त करवाने की सीमा तक आयोग मांग का समर्थन करता है। 
बेंच: क्याआप आजीवन पाबंदी के समर्थन में हैं? 
मोहित: एफिडेविटके एक पैराग्राफ में जिक्र है कि वह इस विचार का समर्थन करता है। लेकिन इसे अलग नहीं पढ़ना चाहिए। 
बेंच: आपकेएफिडेविट का आठवां पैराग्राफ साफ कहता है कि आप इस मांग के समर्थन में हैं। अब आप कह रहे हैं कि हमें बिटवीन लाइंस पढ़ना चाहिए। लेकिन हम ऐसा क्यों करें? इस मुद्दे पर आपने केंद्र से क्या कहा है? 
मोहित: केंद्रसे कुछ भी नहीं कहा गया है। 
बेंच: आयोगचुप नहीं रह सकता है। 
मोहित: इसमुद्दे पर टिप्पणी के लिए चुनाव आयोग सही अथॉरिटी नहीं है। इस मामले में आयोग एक अतिरिक्त एफिडेविट दायर करेगा। 
अश्विनी उपाध्याय (याचिकाकर्ता): आयोगका एफिडेविट कहता है कि वह मेरी मांग के समर्थन में है। दोषी सरकारी कर्मचारी और न्यायिक अधिकारियों पर आजीवन पाबंदी लगती है। जबकि नेताओं पर 6 साल की। 30% से ज्यादा लॉमेकर्स असल में लॉ ब्रेकर्स (कानून तोड़ने वाले) हैं। 
बेंच: यहआंकड़ों का मामला, कुछ नहीं कहेंगे। 
(बहसपूरी नहीं हो पाई, अगली सुनवाई 19 को)
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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