रक्षा मंत्रालय की उच्चस्तरीय जांच में आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में 2 पूर्व सेना प्रमुखों सेना के कई दूसरे बड़े अफसरों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। 199 पेज की जांच रिपोर्ट में पूर्व सेना प्रमुखों जनरल एनसी
विज और जनरल दीपक कपूर, 3 पूर्व लेफ्टिनेंट जनरलों और 4 मेजर जनरलों के अलावा कई दूसरे सैन्य अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है। इन अफसरों में से ज्यादातर को आदर्श कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट मिला था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। रिपोर्टमें कहा गया है, ऐसा लगता है कि जनरल विज ने गलत तरीके से जमीन आवंटित करने में मदद की और सभी तरह के गलत काम करने वालों को 'बचाया'। हालांकि जनरल कपूर इस मामले से जुड़े फैसलों के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं थे। जांच रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष स्तर के अफसर रोल मॉडल होते हैं और उन्हें मिसाल कायम करनी चाहिए। लेकिन उनका ही गलत कामों में शामिल होना गंभीर अपराध है। रिपोर्ट में पूर्व नेवी चीफ एडमिरल माधवेंद्र सिंह और वाइस एडमिरल मदनजीत सिंह को भी 'लाभ पाने वालों' में बताया गया है क्योंकि उन्हें भी फ्लैट मिले थे। हालांकि, उन दोनों की घोटाले में कोई भूमिका नहीं थी। मामले की जांच पूर्व आईएएस अफसर राजन कटोच और लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) रवि ठोगड़े ने की। हालांकि, सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ अब आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती क्योंकि उन्हें रिटायर हुए 3 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है।
बता दें कि आदर्श घोटाला 2010 में सामने आया था। शहीदों की पत्नियों, बच्चों और पूर्व सैनिकों के नाम पर बनने वाली इस हाउसिंग सोसायटी में शीर्ष सैन्य अफसरों ने नेताओं और नौकरशाहों के साथ मिलीभगत कर मनमाने तरीके से फ्लैट आवंटन करवाए। सभी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। मुंबई हाई कोर्ट के आदेश के बाद रक्षा मंत्रालय ने इस मामले की नए सिरे से उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया।
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साभार: भास्कर समाचार
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