पटनासाइंस कॉलेज। करीब 1984 की बात है। यहां पढ़ाने वाले एक शिक्षक उस दिन बहुत विचलित थे। उनके बच्चे फिजिक्स समझ नहीं पा रहे हैं। उन्होंने छात्रों से रेस्निक-हेलीडे की किताब पढ़ने को कहा। अमेरिकी लेखकों की यह किताब सबसे प्रामाणिक मानी जाती है, लेकिन दो-तीन वर्षों के बाद उन्हें लगा कि छात्रों को इससे ज्यादा फायदा नहीं हो रहा। पता चला कि किताब में जिन उदाहरणों के जरिए फिजिक्स के सिद्धांतों को समझाया गया है, वे विदेशी हैं। छात्र इनसे जुड़ नहीं पाते। तब उन्होंने फैसला किया कि फिजिक्स की किताब लिखेंगे, जिसके उदाहरण रोजाना की जिंदगी से जुड़े हों।
ये हैं मशहूर प्रोफेसर एचसी वर्मा। इसमें उन्हें आठ साल लग गए, लेकिन 1992 में जब कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स बाजार में आई तो वे पूरे देश में मशहूर हो गए। इस किताब की खासियत यह है कि 25 साल बीतने के बाद भी इसके रिवाइज्ड एडीशन की जरूरत नहीं पड़ी है और आज भी इसके उदाहरण उतने ही उपयोगी हैं। हाल ही में वे आईआईटी कानपुर से रिटायर हुए हैं। अब वे एक नई किताब लिख रहे हैं। जिसका नाम है फिजिक्स थ्रू स्टोरीज। इस किताब में जातक कथाओं, पंचतंत्र की कहानियांे और अन्य पौराणिक ग्रंथों की कहानियों के जरिए फिजिक्स के सिद्धांतों को बताया जाएगा। अगले 3-4 महीनों में यह किताब बाजार में जाएगी। इसके अलावा वे कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स के हिंदी वर्जन की भी तैयारी कर रहे हैं। स्कूली छात्र हों या आईआईटी पास इंजीनियर, डॉ. एचसी वर्मा के नाम से सभी परिचित हैं। फिजिक्स के छात्रों के लिए उनका नाम इतना ही जाना-पहचाना है, जितना न्यूटन के गति के नियम। सच्चाई यह है कि पिछले 25 वर्षों से छात्र
उनकी किताब पढ़कर फिजिक्स की बारीकियों को समझ रहे हैं। बोर्ड परीक्षा हो या आईआईटी प्रवेश परीक्षा, डॉ. वर्मा की लिखी कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स छात्रों की तैयारी का अहम हिस्सा होता है। शायद यही कारण है कि पिछले सप्ताह 1 जुलाई को जब डॉ. वर्मा 38 वर्षों के शिक्षण कार्य के बाद आईआईटी, कानपुर से रिटायर हुए तो केवल छात्र ही नहीं, शिक्षक समुदाय भी उनकी तारीफ करते नहीं थका। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। साल 1952 में बिहार के दरभंगा में जन्मे वर्मा की अधिकांश स्कूली शिक्षा पटना से हुई। प्रोफेसर वर्मा बताते हैं कि स्कूल के दिनों में पढ़ाई में बेहद कमजोर था। बड़ी मुश्किल से दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद पटना साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया। यहीं से मेरी जिंदगी बदल गई। वर्मा कहते हैं कि स्कूल में पढ़ाई के दौरान किसी शिक्षक ने यह नहीं पूछा कि मुझे क्या पढ़ने में अच्छा लगता है। मुझे खुद भी अपनी रुचि का पता नहीं था, लेकिन पटना साइंस कॉलेज के शिक्षकों ने केवल इसको पहचाना, बल्कि मुझे पढ़ाई का सही तरीका भी समझाया। पटना साइंस कॉलेज के शिक्षक और पढ़ाई के तरीकों ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उसी समय उन्होंने शिक्षण कार्य को अपना लक्ष्य बना लिया था। ये हैं मशहूर प्रोफेसर एचसी वर्मा। इसमें उन्हें आठ साल लग गए, लेकिन 1992 में जब कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स बाजार में आई तो वे पूरे देश में मशहूर हो गए। इस किताब की खासियत यह है कि 25 साल बीतने के बाद भी इसके रिवाइज्ड एडीशन की जरूरत नहीं पड़ी है और आज भी इसके उदाहरण उतने ही उपयोगी हैं। हाल ही में वे आईआईटी कानपुर से रिटायर हुए हैं। अब वे एक नई किताब लिख रहे हैं। जिसका नाम है फिजिक्स थ्रू स्टोरीज। इस किताब में जातक कथाओं, पंचतंत्र की कहानियांे और अन्य पौराणिक ग्रंथों की कहानियों के जरिए फिजिक्स के सिद्धांतों को बताया जाएगा। अगले 3-4 महीनों में यह किताब बाजार में जाएगी। इसके अलावा वे कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स के हिंदी वर्जन की भी तैयारी कर रहे हैं। स्कूली छात्र हों या आईआईटी पास इंजीनियर, डॉ. एचसी वर्मा के नाम से सभी परिचित हैं। फिजिक्स के छात्रों के लिए उनका नाम इतना ही जाना-पहचाना है, जितना न्यूटन के गति के नियम। सच्चाई यह है कि पिछले 25 वर्षों से छात्र
आईआईटी, कानपुर से फिजिक्स में एमएससी करने के बाद लोगों ने उन्हें विदेश जाने या किसी दूसरे कॅरिअर के चुनाव का दबाव दिया, लेकिन वर्मा नहीं माने। वे बताते हैं कि मुझे मेरे शिक्षकों ने ही गढ़ा। अपने ही उदाहरण से मुझे पता चला कि शिक्षक छात्र और समाज के लिए कितना उपयोगी हो सकता है। तभी मैंने तय कर लिया था कि टीचर ही बनूंगा और वो भी पटना साइंस कॉलेज में ही।
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साभार: भास्कर समाचार
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