Sunday, July 9, 2017

इनके दिल में खुदा, जुबां पर वेदपाठ: मुस्लिम परिवारों के 198 बच्चे भी स्वेच्छा से डालते हैं यज्ञ में आहुति

इनके मजहब, इनकी उपासना और दिनचर्या में भेदभाव नहीं है। ये भारत का वो सुनहरा भविष्य हैं, जो ठीक नेपाल की सरहद पर मौजूद आर्य समाज पद्धति के स्कूल में ज्ञानार्जन कर रहे हैं। ये बच्चे हर मंगलवार को
विद्यालय में होने वाले वैदिक यज्ञ में शामिल होते हैं। मन होता है तो आहुति डालते हैं और माथे पर तिलक भी लगवाते हैं। यजुर्वेद में निहित विश्वानिदेव के आठ मंत्र का सस्वर पाठ अनिवार्य रूप से करते हैं। हर दिन प्रार्थना में गायत्री मंत्र बोलने के साथ गौ माता-भारत माता का जयघोष करते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भारत-नेपाल सीमा के नो मेंस लैंड से सटे दयानंद लघु माध्यमिक विद्यालय बढ़नी के परिसर में नए भारत की इबारत लिखी जा रही है। यहां मुस्लिम परिवारों के बच्चे भी पढ़ते हैं, जिनके दिल में खुदा बसते हैं और जुबां पर वेदपाठ रहता है। बढ़नी कस्बे में सन् 1978 में स्थापित इस विद्यालय में करीब ग्यारह सौ छात्र हैं। इनमें मुस्लिम छात्रों की संख्या 198 है। एक ही परिसर में प्राथमिक से लेकर इंटर तक की कक्षाएं संचालित होती हैं, लेकिन दूसरे विद्यालयों से यह इसलिए अनूठा है, क्योंकि यहां हिंदू-मुस्लिम के मजहबी भेदभाव का नामोनिशां नहीं है। विद्यालय में हर मंगलवार को सुबह साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक यज्ञ होता है। इसमें गायत्री मंत्र, यजुर्वेद के विश्वानिदेव के आठ मंत्र का सस्वर पाठ होता है। यज्ञ प्रार्थना, सामूहिक भजन के साथ सत्यार्थ प्रकाश का दस मिनट का पाठ किया जाता है। सामूहिक प्रार्थना से यज्ञ का समापन होता है। इसमें हिंदू-मुस्लिम सभी छात्र शामिल होते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार 
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